बिहार : कॉलेज में खुदाई के दौरान मिला अनोखा पंचमुखी शिवलिंग बना चर्चा का विषय

किसी भी राज्य या जगह विशेष की जानकारी उसके इतिहास के बारे में जानने, विशेष जानकारी प्राप्त करने के लिए अभिलेखों का काफी महत्व रहता है। कुछ जानकारियां खुदाई से मिली मूर्तियों से भी प्राप्त होती है।बिहार में भी कई सारी जगहों पर पुरातात्विक विभाग द्वारा लगातार खुदाई का कार्य करवाया जाता रहता है ताकि बिहार के गौरवशाली इतिहास का पता ज्यादा से ज्यादा चल सके।कई बार बिना वजह अन्य वजहों से भी होने वाली खुदाई से भी बहुत सारी अनोखी चीजें मिल जाती हैं।

इसी क्रम में बिहार के औरंगाबाद स्थित सिन्हा कॉलेज में कॉमर्स भवन के निर्माण के लिए नींव देने वास्ते खुदाई का काम चल रहा था। उसी दौरान एक अद्भुत शिव की पंचमुखी मूर्ति मिल गई।जो वहाँ मौजूद सभी के लिए आश्चर्य का विषय बन गई। सभी के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि इतने पुराने कॉलेज की ज़मीन के नीचे आखिर इतना अनोखा शिवलिंग कहाँ से आया।

मिला हुआ शिवलिंग काले और भूरे रंग के मिले हुए पत्थरों से पूरी नक्काशी के साथ बना हुआ है। नींव बनाने के लिए लिए जब पाइलिंग के लिए होल किया जा रहा था तभी जमीन के चार फीट नीचे मशीन का ब्लेड के टकराने की आवाज आई। आवाज सुनकर काम रुकवा दिया गया। जब पुनः जमीन में देखा गया तो चमकीले धातु से बना एक पंचमुखी शिवलिंग बाहर आया। शिवलिंग मिलते ही तुरन्त में काफी भीड़ जमा हो गई। इसकी सूचना कॉलेज के प्रिंसिपल को दी गई ।

शिवलिंग के मिलते ही जितने मुँह उतनी कहानियों बाहर आने लगी।कुछ लोगो का कहना है कि प्राचीन काल मे उस जगह पर टेकारी महाराज का कार्यालय था राजस्व वसूली करने वाले कर्मी वहाँ रहा करते थे। संभवतः यह प्रतिमा उन्होंने ही स्थापित की हो जो कि किसी कारणवश दब गई हो।

वहीं दूसरी तरफ यह भी चर्चा काफी हो रही है कि लोग इसे सूर्य मंदिर के कालखंड से जोड़ रहे हैं।कुछ का मान न है कि शिवलिंग में उकेरी गई आकृतियां तथागत की है। जिसकी जानकारी लेने की कोशिश की जाए तो शाक्य वंश की कई अनकही बाते सामने आ सकती है। फिलहाल पुरातत्व विभाग की ओर से अभी तक कोई बात सामने नहीं आई है। जिस वजह से किसी भी तथ्य को विश्वास परक नहीं माना जा सकता है।