गर्व! एक पैर गलकर हो गया खत्म – मगर दूसरे पैर से उछल-उछलकर रोजाना स्कूल जाता है प्रशांत..

डेस्क : मंजिल उन्हें ही मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती हैं। महज 7 वर्ष का है प्रशांत. यह उस बच्चे का नाम है जिसके अंदर पढ़ लिख कर कुछ कर गुजरने का जज्बा भरा हुआ है. लाख परेशानियां उसके राहों का रोड़ा नही बन सकती.

प्रशांत अपना किसी दुर्घटना में एक पैर गंवा चुका है और वो एक पैर के सहारे प्रत्येक दिन अपने घर से तकरीबन 1 किमी दूर सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता है. उसके परिवार की आर्थिक बदहाली कुछ ऐसी है कि प्रशांत के लिए उसका अपना परिवार कुछ भी नहीं कर पा रहा है.

सीतामढ़ी के परिहार प्रखंड का मलहा टोल के प्रशांत को उसके गांव में सभी लोग जानते हैं. मलहा टोल के सरकारी स्कूल के कक्षा द्वितीय का प्रशांत छात्र है. एक हादसे में प्रशांत अपना पैर गंवा चुका है. पिछले कई वर्षों से प्रशांत एक पैर के सहारे स्कूल आता जाता है. इसके घर से स्कूल की दूरी तकरीबन 1 किमी है.

इस वीडियो देखकर आप सहज अनुमान लगा सकते हैं कि प्रशांत को एक पैर के सहारे स्कूल आने जाने में कितनी दिक्कत होती होगी. लेकिन, पढ़ लिख कर कुछ कर गुजरने का जज्बा प्रशांत में जो भरा है कि वह किसी भी परेशानी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहता हैं.

बताया यह जाता है कि कुछ साल पहले एक गलत सुई देने की वजह से प्रशांत का एक पैर गलने लगा था और शरीर से टूट कर अंग अलग हो गया. काफी इलाज के बावजूद भी उसके पैर को बचाया नहीं जा सका. स्कूल की शिक्षिका प्रियंका कुमारी ने भी प्रशांत को सरकारी मदद मिल सके इसको लेकर काफी अथक प्रयास भी किया. शिक्षिका के प्रयास से प्रशांत को सरकार के द्वारा महज एक वैशाखी ही उपलब्ध कराई जा सकी है.