बिहार में अब डराने लगी है कोरोना की बढ़ती रफ्तार, बाढ़ और कोरोना से एकसाथ कैसे निपटे बिहार सरकार

डेस्क : बिहार में कोरोना की स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है। और अब दोहरी संकट छायी हुई है। जहां एक तरफ कोरोना के कहर से विश्व के साथ बिहार हलकान हो रहा था। वहीं अब उफनाती हुई नदियाँ भी अपने पूरे सबाब पर है। बिहार में एक बड़े भाग पर जलप्रलय की आशंका बनी हुई है। इन सभी चीजों के बीच अब बिहार सरकार बेबस नजर आ रही है।

फिलवक्त बिहार में कोरोना की वस्तुस्थिति की बात करें तो मंगलवार को बिहार स्वास्थ्य विभाग के ताजा अपडेट्स के मुताबिक विगत 24 घंटे में कुल 10303 सैम्पल की जांच हुई है। वहीं अबतक कुल 18741 मरीज ठीक हुए हैं। जिसके बाद वर्तमान में COVID19 के active मरीजों की संख्या 9624 है। बात रिकवरी की की जाय तो बिहार में कोरोना मरीजों का रिकवरी प्रतिशत 65.61 है।

क्या सरकार सिर्फ बांध रही है बयानों का पुलिंदा बीते कई हफ्तों से बिहार में विपक्षी पार्टी के नेताओं के द्वारा कोरोना जांच की संख्या को बढ़ाने की मांग की जा रही है, लेकिन हालिया व्यवस्था पर इस बात का प्रभाव नजर नहीं आ रहा है, खैर ये तो विपक्ष की बात है। बिहार के आलाकमान नीतीश कुमार ने हाल ही में रोजाना 20 हजार कोरोना जांच किये जाने का बयान मीडिया में सुर्खियां बनकर रह गयी। क्योंकि धरातल पर के आंकड़े और सीएम के बयानों में अंतर्द्वंद्व दिखाई पड़ता है। बिहार की जनता उपापोह की स्थिति में है। जिससे किसी बड़े संकट और कोरोना के बढ़ते ग्राफ से जनता में काफी असंतोष का माहौल पनप रहा है।

हालांकि आने वक्त में कोरोना और बाढ़ के प्रकोप से एकसाथ बिहार सरकार के निपटने की दैवीय शक्ति की इंतजार आम जनता को है ही लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि बयानों के मकरजाल से बिहार की जनता के साथ खिलबाड़ करने का हक बिहार के मुखिया को किसने दी है।