बिहार में युवाओं की भविष्य अंधकार में धकेल रही है सरकार, खेल और खिलाड़ियों के साथ धोखा- मंजूबाला पाठक

डेस्क : देश मे नई शिक्षा नीति की बात चल रही है।खेलों को शिक्षा का अनिवार्य विषय बनाया जा रहा है।परंतु बिहार में ना तो युवाओं के भविष्य की चिंता की जा रही है और ना खिलाड़ियों की।बिहार सरकार को खेल और खिलाड़ी दोनों ही समझ नही आते। युवाओं का भविष्य अधर में है।पहले तो शिक्षा व्यवस्था ही दुरुस्त नही है। ना सरकार समय पर शिक्षकों को वेतन देती है। ना स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलोप करती है।और जैसे तैसे बच्चे अगर अपनी शिक्षा पूरी कर लेते है तो उनको एक अदद नौकरी के लिए जूझना पड़ता है।उक्त बातें बिहार महिला कांग्रेस की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमति मंजूबाला पाठक ने कही।

खिलाड़ियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा बिहार की अब तक कोई क्रिकेट टीम नही है।हमारे राज्य के बच्चे दूसरे राज्यो से खेलने को मजबूर है।एक अदद स्टेडियम भी नही है बिहार में।ना ही सरकार खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन देती है।ना तो कोई ट्रेनिंग सेंटर्स है और ना ही सरकार इसके लिए कभी प्रतिबद्ध दिखती है। मुझे तो लगता है सरकार को इससे कोई फर्क ही नही पड़ता कि खिलाड़ियों को भविष्य भी बर्बाद हो रहा है। अगर सरकार समुचित व्यवास्था करें तो मुझव पूर्ण विश्वास है कि बिहार के बच्चे भी विश्व मे भारत का डंका बजा सकते है। देश के दूसरे राज्यो ने बच्चो को सुविधाएं दी हैं।और इनका परिणाम उन्हें मिल भी रहा है।बात अगर बच्चियों की करें तो उनकी सहभागिता खेलों मे और भी कम है।बच्चियों के लिए भी खेल विद्यालय और महिला कोचेस की व्यवास्था होनी चाहिए।

एक महिला होने के नाते मुझे इस बात की हमेशा फिक्र होती है कि हमारी बच्चियों के सर्वांगीड़ विकास के लिए सरकार को अलग से फण्ड देना चाहिए।हम बच्चियों को इस तरह से तैयार करें कि समाज में वो अपना मुकाम बना सके।मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को युवाओ के भविष्य की चिंता करनी चाहिये।जल्द से जल्द खिलाड़ियों की सुध लेनी चाहिए।बिहार को अपने स्टेडियम की जरूरत है।तभी बच्चों और बच्चियों के साथ बिहार न्याय कर पायेगा।