बिहार में मुखिया पद के लालसा में 63 साल के बुजुर्ग व्यक्ति ने रचाई दूसरी शादी, पहले से हैं 15 पोते पोतिया!

न्यूज डेस्क : बिहार में पंचायत चुनाव का दौर जारी है, ऐसे में नवर्तमान एवं भावी प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए कई तरह युक्ति अपना रहे हैं, कोई जनप्रतिनिधि जनता को रुपया का लालच देकर वोट खरीद रहे हैं, तो कोई फ्री में कपड़े, फल बांटकर जनता से अपना वोट खरीद रहा है। लेकिन इसी बीच आप लोगों को एक ऐसे जनप्रतिनिधि शुरू रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो मुखिया बनने की चाहत में अपनी उम्र को भूल बैठे हैं, दादा उमर के बुजुर्ग व्यक्ति शादी करके मुखिया बनने की फिराक में है, तो चलिए आपको पूरा कहानी समझाते हैं,

ताजा मामला है बिहार के अररिया के पड़रिया पंचायत का है, जहां, सिकटी प्रखंड के पड़रिया पंचायत में मुखिया बनने के लिए बूढ़े मर्द अपनी पोती की उम्र की लड़कियों से शादी रचा रहे हैं। दरअसल, यह पंचायत पिछले चुनाव में ही अत्यंत पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गयी थी। इसके कारण पिछली बार ही ताहीर ने अत्यंत पिछड़ी जाति की एक युवती से शादी कर पंचायत चुनाव में उसे उतार दिया। उसकी नयी पत्नी नसीमा खातून 2016 में जीत दर्ज की और अभी वही निवर्तमान मुखिया है।

पिछली बार ग्रामीणों से यह शर्त किया था : वही वहां के ग्रामीणों का कहना है कि ताहीर ने निकाह के समय यह शर्त रखी थी कि यदि नसीमा खातून चुनाव जीत जाती हैं, तो वो उसे पत्नी के रूप में रखेगा, यदि चुनाव हार जाती हैं, तो पांच बीघा जमीन देकर उसे तलाक दे देगा। हालांकि, वे 1904 मतों से चुनाव जीत गयी। लेकिन, इसबार ताहीर के रास्ते ही पूर्व पंसस जैनुद्दीन ने चलने का फैसला किया नसीमा के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के लिए अत्यंत पिछड़ी जाति की युवती साहीरा खातून से निकाह कर उसे चुनावी मैदान में उतारा है।

अपने पोती की उम्र की लड़की से किया विवाह : बता दे की 63 साल के जैनुद्दीन मुखिया पद पर कब्जा करने के लिए अतिपिछड़ी जाति की युवती से निकाह रचा लिया है। जैनुद्दीन के 15 पोते-पोतियां औऱ नाती-नातिन हैं, घर में बुजुर्ग बीबी भी है, लेकिन वो अति पिछड़ी जाति से नहीं है, मो. जैनुद्दीन की पहली पत्नी उनके साथ रहती हैं, उन्हें 3 बेटे औऱ 4 बेटियां हैं, 9 पोता-पोती औऱ 6 नाती-नातिन है।

तो इस वजह से शादी करना पड़ा : प्रत्याशी मो. जैनुद्दीन कहते हैं कि वे इस दफे पंचायत के मुखिया पद पर कब्जा करना चाहते हैं, लेकिन रास्ते में बड़ी बाधा खडी थी, सरकार ने इस पंचायत को अति पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए रिजर्व कर दिया था। जबकी, मो. जैनुद्दीन अति पिछड़ा वर्ग से नहीं आते, लिहाजा उनके परिवार का कोई दूसरा सदस्य भी अति पिछड़ा वर्ग कोटे मे नहीं आ रहा था। ऐसे में मो जैनुद्दीन ने ताीहर का रास्ता चुना और अतिपिछड़ी जाति की एक कुंवारी लड़की से दूसरी शादी कर ली। उन्होंने अति पिछड़े वर्ग से आने वाली साहिरा खातुन चुनावी मैदान में उतार दिया है।