बिहार: हाय रे शराबबंदी! पंचायत चुनाव में शराब की डिमांड बढ़ी तो बहियार छोड़ घर में लगा दी फैक्ट्री, पुलिस ने ऐसे किया खुलासा..जानें-

न्यूज डेस्क: बात अप्रैल, 2016 की है जब सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी थी। लेकिन, क्या वाकई में बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुआ। यह बात किसी से छुपा नहीं है, कि बिहार में किस तरह से अवैध रूप से शराब की बिक्री हो रही है, लेकिन इसी बीच बिहार में पंचायत चुनाव जारी है। इसमें खासकर, देसी शराब की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है। इसी को खानापूर्ति करने के शराब के ठेकेदारों ने बहियार छोड़ घर में भी शराब बनाने शुरू कर दे।

ताजा मामला बिहार के गोपालगंज जिले के बरदाहा गांव से आया है, जहां सिर्फ शराब की बोतलें नहीं बाकायदा फैक्ट्री चलाई जा रही थी। गुप्त सूचना के आधार पर कुख्यात पुलिस ने छापामारी कर मिनी शराब फैक्ट्री का उद्भेदन किया। जिसमें पता लगा की फैक्ट्री में करीब आठ हजार से ज्यादा बोतलें है और भरी हुई नकली देसी शराब और शराब बनाने के सामान है।

गोपालगंज के कुचायकोट थाना के एसआई प्रमोद कुमार सिंह को गुप्त सूचना मिली थी, कि कुचायकोट के शीतल बरदाहा गांव में बड़े पैमाने पर नकली देशी शराब की फैक्ट्री चलाई जा रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने नकली शराब की 130 भरी हुई बोतल, शराब बनाने के लिए 5 लीटर स्प्रीट और 8090 देशी शराब की खाली बोतले जब्त की। इस मामले में तीन मुख्य आरोपी कुख्यात शराब कारोबारी दूधनाथ कुशवाहा, उसकी पत्नी रश्मि कुशवाहा और यूपी के कुशीनगर निवासी हरिवंश कुशवाहा को गिरफ्तार किया गया है । बाता दे की इस जिले में पंचायत चुनाव से पहले पुलिस की यह बड़ी कार्रवाई की गई है

अब अखबार या टीवी पर भले ही बड़े-बड़े अक्षरों में आपको ये देखने को मिल जाए की नीतीश हुकूमत में राज्य में शराबबंदी से काफी सुधार आया है , और सरकार इन मामलों में सख्ती दिखा रही है । इन हेडलाइन्स का तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक असल में ऐसा न हो रहा हो । जब आप हकीकत देखेंगे तो शायद कुछ और ही देखने को मिल जाएगा । ये सख्ती शायद इन लोगों पर लागू नहीं की जाती तभी इतने बड़े पैमाने पर यह फैक्ट्री चल रही थी और ठीक पंचायत चुनाव के पहले इसपर कार्यवाही की गई ।