बिहार के जिन इलाकों में पकड़ी जाएगी शराब वहां होगी जिओ टैगिंग – सरकार ने कर ली तैयारी

डेस्क : बिहार में शराब बंद है, लेकिन जबसे शराब बंद हुई है तब से और शराब की बिक्री तीन गुना हो गई है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बिहार के बीते दिनों के आंकड़े बता रहे हैं। बिहार के उत्पाद विभाग व बिहार मध् निषेध की टीम ने इसके लिए नई SOP तैयार की है। इस नई SOP के तहत जहां-जहां भी शराब के काले धंधे चल रहे हैं, उन पर रोक लगाई जाएगी। जिस इलाके से शराब पकड़ी जाएगी वहां पर जियो टैगिंग कर दी जाएगी। ज्यादातर वह इलाके चिन्हित किए जाएंगे जहां पर एक के बाद एक शराब उत्पाद करके बेची जा रही है। उस इलाक़े को मध निषेध करार दिया जाएगा और जियो टैगिंग कर दी जाएगी। ऐसे में उसको डिजिटल मैप पर भी सेट कर दिया जाएगा।

आने वाले दिनों में जियो टैगिंग वाले इलाकों में पुलिस वालों की कड़ी नजर रहेगी और पूर्व चार्ज शीट व्यक्तियों से इसके अंतर्गत पूछताछ भी की जाएगी। बता दें की बिहार में जो भी लोग इस वक्त शराब बना रहे हैं। उनके लिए रो-मटेरियल बाहरी राज्यों से ही मंगवाना पड़ता है। ऐसे में सबसे ज्यादा मात्रा में स्प्रिट इस्तेमाल किया जाता है। सरकारी एजेंसी अक्सर बाहर से आने वाले सामान पर रोक लगाती हैं। ऐसे में जब भी वह सफल हो जाती हैं तो राज्य में बनाने वाली स्प्रिट को बैलेंस किया जाता है। स्प्रिट को बैलेंस करने के लिए हानिकारक केमिकल को मिलाया जाता है। खतरनाक केमिकल जैसे इथेनॉल को मेथेनॉल में बदल दिया जाता है और शराब बनाने के तरीकों में गड़बड़ी हो जाती है। बता दें कि शराब उत्पाद के लिए सड़ा हुआ महुआ, किशमिश, चावल और गुड़ का इस्तेमाल करके शराब का निर्माण किया जाता है।

ऐसे में जब यह सारा माल आता है तो अंदाजा नहीं लगाया जाता कि कौन सा सामान खाने पीने के लिए आ रहा है और कौन सा शराब के इस्तेमाल के लिए। ऐसे में यह शराब आम लोगों के लिए खतरनाक हो जाती है, जब गलत सामग्री को इसमें मिला दिया जाता है। हर महीने कई लीटर शराब प्राप्त हो रही है बता दें कि औसतन 50,000 लीटर शराब पकड़ी जा रही है। इस साल मात्र 3 महीनों के भीतर ही 52,000 लीटर देसी शराब की खेप उत्पाद विभाग ने जब्त की है। बीते दिन बेगूसराय में 625 कार्टन शराब पकड़ी गई थी।