दसवीं तक पिता ने खुद पढ़ाया तब अनुराग ने नीट परीक्षा में 99.64 % हासिल कर लहराया परचम, छात्रों को दिए संदेश

डेस्क : मेडिकल परिवेश परीक्षा नीट के परिणाम बीते सोमवार को घोषित किए गए। इसमें अच्छे अंक प्राप्त कर कई छात्रों ने अपने गांव, शहर राज्य का नाम रोशन किया। इसी कड़ी में एक कहावत याद आती है “होनहार बिरवान के होत चीकने पात” अर्थात होनहार व्यक्ति की छवी पलने में ही दिख जाती है। उसी समय अनुमान लग जाते है की यह आगे चलकर कुछ अच्छा करेगा और हमेशा प्रगति की राह पर निरंतर बढ़ता रहेगा। कुछ ऐसा ही अनुराग कुमार झा में है। बचपन से पढ़ाई में मेहनती, लगनशील अनुराग ने नीट में 720 में से 641 अंक हासिल कर पूरे राज्य का मान बढ़ाया है। मेधावी अनुराग 99.64 परसेंटाइल प्राप्त कर परिजनों को गौरान्वित किया है।

बिहार के सीतामढ़ी जिले के खाड़ी (अन्दौली) निवासी अनुराग के पिता बालकृष्ण झा पेशे से शिक्षक और माता साधना झा गृहणी हैं। घर का इकलौता संतान अनुराग का बचपन से ही पढ़ाई में काफी रुचि रहा है। उनके मां ने बताया कि अनुराग पढ़ाई के प्रति हमेशा गंभीर रहे हैं। हमने इस बात को ध्यान में रखते हुए कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी, जिसका परिणाम आज सबके सामने है। साथ ही उन्होंने कहा हम इनके प्राप्त अंक से खुश हैं।

10वीं तक पिता ने पढ़ाया अनुराग के यह बेहतरीन अंक प्राप्त करने में उनके पिता का अहम योग्यदान है। कहा जाता है कि जड़ मजबूत हो तो वृक्ष विशाल रूप धारण कर ही लेता है। ठीक उसी प्रकार एक विद्यार्थी का भी आरंभिक शिक्षा अच्छे से हो तो वह आगे भी शानदार प्रदर्शन करता है। अनुराग के शिक्षक पिता ने शुरू से लेकर कक्षा दसवीं तक स्वयं पढ़ायें। इस संबंध में अनुराग कुमार झा ने बताया उनके पिता एक शिक्षक और मुझे एक विद्यार्थी की तरह पढ़ा कर आज इस योग्य बनाएं। इस सफलता तक पहुचाने में उन्होंने कड़ी मेहनत की है।

तैयारी के दौरान नहीं रखा था स्मार्टफोन आज के समय में अधिखतर छात्र फोन में डूबे हुए रहते हैं। ऐसे में अनुराग कुमार झा ने इससे दूरी बना कर रखा। उनके पास लोकडॉन से पहले तक स्मार्टफोन नहीं था। सिर्फ एक कीपैड मोबाइल काम चलने योग्य रखते थे। अनुराग कहते हैं ‘स्मार्टफोन ना रहने से मैं अपने पढ़ाई पर अच्छे से ध्यान केंद्रित कर सका। वैसे अब कोरोना संक्रमण के चलते छात्र ऑनलाइन क्लास फोन से भी करते है, जिस वजह से स्मार्टफोन आवश्यक हो गया है। केवल छात्रों को ध्यान रखना होगा कि अपने लक्ष्य पर आंख गड़ाए रखे।

विद्यार्थियों के लिए संदेश उन्होंने कहा कि यदि आप सोच लिए हैं कि हमे सफल होना ही है तो हार कतई ना माने केवल ईमानदारी से पढ़ाई करते रहें। कई बार ऐसा होता है कि हम कुछ ही अंक के चलते हम चूक जाते हैं। ऐसे में अगले बार हुई चूक को दूर कर हम अच्छे कर प्राप्त कर सकते हैं। एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि जितना पढ़े पूरे लग्न और निष्ठा से पढ़ें। ऐसा कुछ भी नहीं है कि असंभव है।