बिहार में दाखिल खारिज करवाने में भ्रष्टाचार का है बोलबाला, भू राजस्व मंत्री के बयान से मची खलबली

न्यूज डेस्क , पटना : बिहार भर में भूमि से सम्बंधित कामों में रसीद कटवाने या दाखिल खारिज से जुड़े कामों में लोगों को क्या फजीहत उठानी पड़ती है यह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है। हालांकि विगत कुछ सालों में बिहार सरकार ने भू राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए या फिर लोगों को अपने कामों को निपटारा करने में दिक्कत न हो इसके लिए भू राजस्व विभाग के सारे ऑफिसों को ऑनलाइन कर दिया । यहां तक कि रजिस्टर टू से लेकर रसीद कटवाने से लेकर लगान रसीद और जितने भी जरूरी काम है उस सभी को ऑनलाइन करवाने का फैसला भू राजस्व विभाग ने किया और अधिकांश काम सुचारू रूप से चल भी रहे हैं।

परंतु अंचल कार्यालयों में पदस्थापित कर्मचारी और अधिकारियों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रहा है जिसके बाद लोगों को फजीहत से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। कई फर्जी दाखिल खारिज को अब भी धररले से अंजाम दिए जा रहे हैं। यह बात आप को पढ़ कर हैरानी होगी ऐसी कोई भी बात नहीं है। क्योंकि इन बातों की पुष्टि खुद बिहार सरकार के नए नवेले भू राजस्व मंत्री रामसूरत राय ने भी किया है। आपको बता दें कि रामसूरत राय ने बताया कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना ही सरकार की प्राथमिकता है और हमारे विभाग में भी भू राजस्व विभाग में भी गैर कानूनी तरीके से दाखिल खारिज किये जाते हैं। विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसके बाद से मानों विपक्ष नीतीश सरकार पर हमलावर हो गया ।

कांग्रेस और राजद के नेताओं ने कहा कि यह बात अगर विपक्ष के कोई भी नेता बोलते तो सत्ताधारी दल के नेता बोलते कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश या फिर अनर्गल आरोप है। परंतु जब किसी विभाग के मंत्री खुद बोल रहे हो कि मेरे विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है तो सरकार को क्यों नहीं विगत मंत्रियों के कार्यकाल की जांच करवानी चाहिए। और विपक्ष के नेताओं ने बीते हुए कुछ सालों में जो भी मंत्री रहे उनके कार्यकाल की जांच की मांग भी उठा दी है। हालांकि इसके बाद जदयू के एक एमएलसी ने नीतीश सरकार का बचाव करते हुए इस मामले पर रामसूरत राय के बारे में जो कहा वह हास्यास्पद है। क्योंकि उन्होंने जो कहा कि रामसूरत राय अभी नए मंत्री बने हैं तो उनको शायद ज्यादा जानकारी ना हो परंतु शायद यह भूल जाते हैं कि नए और पुराने का राजनीति में कोई स्थान नहीं होता है यहां पर लोकतंत्र में जनता जिस को चुनकर भेजती है जनता अपने हिसाब से नेता चुनती है तो नए और पुराने का कोई मतलब नहीं होता है।

एमएलसी ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। जदयू के एमएलसी महोदय को आरटीपीएस काउंटर पर लाइन लगकर जानकारी लेनी चाहिए कि एलपीसी के लिए एक आम आदमी को क्या फजीहत उठानी पड़ रही है। बहराल भू राजस्व मंत्री रामसूरत राय के बयान के बाद से बिहार का सियासी पारा हाई हो गया है हालांकि मौसमी पारा डाउन रहने के बाद भी इस सियासी पारे ने राजनीतिक जगत में गर्माहट ला दी है। अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के कोटे से मंत्री ने अपनी सरकार के विभाग में भ्रष्टाचार की जो बात कही है उसको लेकर नीतीश कुमार कितना गंभीर होते हैं या फिर इन बातों का उनके लिए कोई भी मायने और मतलब नहीं रहता है।