एशिया का प्रसिद्ध बिहार बेगूसराय का राजकीय सिमरिया कल्पवास मेला 13 अक्टूबर से 17 नवंबर तक चलेगा।

बेगूसराय । बिहार के बेगूसराय जिला स्थित सिमरिया गंगा तट पर कल्पवास मेला लगना इतिहास यहां का साक्षी है कि राजा विदेह के समय से चलते हुए आ रहा है। मिथिला की सीमा सिमरिया घाम रही है ।गंगा मिथि लावासियों के लिए आज भी सबसे ज्यादा धार्मिक आस्था का केंद्र यह माना जाता है ।

इतिहास यहाँ पर साक्षी है कि सिमरिया धाम में कल्पवास करने के लिए राजा जनक, कविवर विद्यापति ,मंडन मिश्र भी यहां पर आए थे और उन्हें यहां पर ही मोक्ष की प्राप्ति मिली थी।

आज भी मिथिलावासियों का कल्पस्थली और मोक्षधाम सिमरिया ही है। राजा जनक विदेह अपने अंतिम अवस्था में यही पर रह कर कल्पवास एक माह तक किए थे, और यहीं प्राण त्याग भी किए थे। शंकराचार्य को पराजित करने वाले मिथिला के विद्वान मंडन मिश्र और उनकी दूसरी पत्नी भारती को भी मोक्ष यही पर मिला। कविवर विद्यापति को भी यही कल्पवास किये और मोक्ष की प्राप्ति हुई थी ।ऐसी ही धार्मिक मान्यता को देखते सुनते हुए बड़ी संख्या में यहां साधु ,संत, और श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के मौके पर अपना पर्णकुटी गंगा घाट के तट पर बनाकर पूरे एक माह तक सिमरिया धाम में कल्पवास रहकर करते हैं।

इस वर्ष 2019 में 13 अक्टूबर से लेकर अगले माह 17 नवंबर तक सिमरिया गंगा घाट पर कल्पवास मेला चलेगा। कल्पवास मेला के दौरान हजारों की संख्या म़े श्रद्धालु एक महीने तक अपना पर्णकुटी घाट पर बनाकर रहते हैं और सुबह में गंगा स्नान करते हैं ।बेगूसराय जिले के सिमरिया में गंगा तट पर जिला प्रशासन के द्वारा विधिवत राजकीय कल्पवास मेला का उद्घाटन संभवत 20 अक्टूबर को बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा के द्वारा करने की पूरी संभावना हे।

सिमरिया धाम इसलिए भी प्रसिद्ध धर्म स्थली बन गया है कि यहां पर अखिल भारतीय सर्वमंगला सिद्धाश्रम सिमरिया धाम के परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज के नेतृत्व में वर्ष 2011 में अर्ध कुंभ और 2017 में कुंभ मेला लगा था ।जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु व संतों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगाया था। सिमरिया में कार्तिक पूर्णिमा में लाखों की भीड़ गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालु भक्तों की लगती है। वर्ष 2017 के कार्तिक पूर्णिमा में सिमरिया धाम पर अत्यधिक भीड़ श्रद्धालुओं के जुटने के कारण घाट पर भगदड़ मच गई थी ।जिसमें 3 श्रद्धालु की जान चली गई थी ।

सिमरिया घाट पर साहित्य का महाकुंभ भी लगा था। जिसमें मुरारी बापू की कथा 9 दिनों तक चली थी ।जिसमें देश ,विदेश के लोग भी यहां पर कथा सुनने के लिए पधारे थे। इससे भी सिमरिया धाम धर्म स्थली के नाम से देश और विदेश में भी नाम पूरे गूंज रहा है

सिमरिया के प्रसिद्ध बाबा चिदात्मन जी महाराज के प्रयास से वर्ष 2011 में अर्धकुंभ,2017 में कुंभ मेला और साहित्य, कुंभ मेला का भी आयोजन हुआ था।

बाबा चिदात्मन जी महाराज

सिमरिया धाम को वर्ष 2007 में बिहार सरकार के द्वारा राजकीय मेला का दर्जा मिला।

सिमरिया धाम में हमेशा विदेशी सैलानी भी घूमने के लिए यहां पर आते रहते हैं। वर्ष 2007 में सिमरिया धाम को राजकीय मेला का दर्जा बिहार सरकार ने इसे दिया ।लेकिन उसके मुताबिक कार्तिक मास मेला के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन के द्वारा उनकी सुविधा मुहैया तो कराई जाती है ।लेकिन वह अन्त में फेल साबित हो जाती है ।इस बार वर्ष 2019 में जिला प्रशासन के अधिकारी पूरी तरह से कल्प वासियों को सुविधा मुहैया कराने के लिए पहले से ही चौकस दिख रहे हैं ।

सिमरिया ग़गा नदी पर बना राजेन्द्र पुल

अब देखना यह है कि इस बार कल्पवासियों के लिए जिला प्रशासन के द्वारा शौचालय की बेहतर सुविधाएं ,साफ-सफाई, पेयजल ,स्वास्थ्य ,प्रकाश , स्नान घाट के अलावे उचित मूल्य पर उन्हें सलाई, मोमबत्ती, फल, दूध, सब्जियां या अन्य सामग्री उपलब्ध श्रद्धालुओं को करा पाते हैं कि नहीं ।महंगाई की मार भी प्रत्येक वर्ष तक कल्पवासियों को यहां झेलना पड़ता है ।कल्पवास प्रारंभ होने के बाद कुंभ सेवा समिति सिमरिया धाम के महासचिव व एमएलसी रजनीश कुमार, अध्यक्ष डॉ० नलिनी रंजन, उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह अमर जदयू जिलाध्यक्ष भूमि पाल राय, पूर्व मेंयर संजय सिंह,इसके संयोजक विश्व रमन सिंह उर्फ संजय सिंह के नेतृत्व में बनारस के पंडितों के द्वारा सिमरिया गंगा तट पर संध्या महा आरती और भजन का कार्यक्रम आयोजित प्रत्येक वर्ष करवाया जाता है।

गंगा महाआरती देखने के लिए घाट पर रहने वाले पर्णकुटी के सभी श्रद्धालु प्रतिदिन हजारों की संख्या में गंगा महाआरती देखने के लिए आते हैं ।कुंभ मेला वर्ष 20 17 में शुरू होने के पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिमरिया धाम पहुंचे थे। उन्होंने मंच पर से संबोघन में कहा था कि सिमरिया धाम को पर्यटक के रूप में पूर्ण रूप से विकसित किया जाएगा। लेकिन अभी तक गंगा स्नान घाट के सीढ़ी का भी निर्माण नहीं करबाया जा सका है ,अन्य सुविधाएं श्रद्धालुओं के लिए तो छोड़िए।

इस सिमरिया घाट पर प्रत्येक वर्ष कल्पवास करने के लिए मधुबनी जिला से खालसा के बौआ,हनुमान, विष्णदेवाचार्य, महामंडलेश्वर ,अवध किशोर दास, जानकी वल्लभ वेदांती, दरभंगा जिला से मौनी बाबा ,वैष्णव दास रामायणी ,हरिदास ,हरिओम दास, के अलावे भूटान और नेपाल देश से भी कल्पवास करने के लिए सैकड़ों की संख्या में खालसा के साधु संत यहां पधार हैं और पूरे एक माह तक यहां रहकर कल्पवास करते है।बाबा चिदात्मन जी महाराज अपने पूरे संत टीम के साथ हाथी, घोड़े ,ऊंट एवं बैंड बाजे के साथ एक माह तक कार्तिक मास में चलने वाले कल्पवास मेला के दौरान तीन बार सुबह में पूरे मेला का परिक्रमा करते हैं ।जो देखते योग्य होता है ।इस परिक्रमा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त भी भाग लेते हैं।यह कल्पवास मेला जिला प्रशासन के अधिकारियों के लिए एक माह तक पूर्ण रूप से शान्ति पूर्वक संपन्न कराने के लिए चुनौती बना हुआ रहता है।

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास मेला के समय बनारस के पंडित सिमरिया धाम पर पहुंचकर पूरे एक माह तक गंगा माँ का महा आरती घाट के किनारे में करते हैं।

बणारस के पंडित के द्वारा कार्तिक मास के मौके पर सिभरिया गंगा घाम में महा आरती करते हुए पिछले वर्ष का फाइल फोटो ।

कार्तिक मास मेला के दौरान सिमरिया धाम के प्रसिद्ध बाबा चिदात्मन जी महाराज के द्वारा एक माह के अंदर तीन बार हाथी, घोड़ा,ऊँट एव बैंड बाजे के साथ मेला का परिक्रमा सुबह में करते हैं।