Increasing pollution in Begusarai : औद्योगिक विकास की रफ्तार पकड़ता बेगूसराय आज वायु प्रदूषण की मार से बुरी तरह कराह रहा है। शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक हवा में घुलता जहर लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। लेकिन विडंबना यह है कि जनप्रतिनिधि हों या प्रशासनिक अधिकारी, अथवा कारखानों का प्रबंधन किसी के पास इस बढ़ते खतरे के समाधान की ठोस योजना दिखाई नहीं देती।
पिछले कई वर्षों से मीडिया और सामाजिक मंचों पर उठती आवाजें मानो नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही हैं। मुद्दा जितना गंभीर होता जा रहा है, जिम्मेदार तंत्र की उदासीनता उतनी ही बढ़ती दिखती है। रिफाइनरी, फर्टिलाइजर प्लांट और थर्मल पावर के आसपास बसे गांवों के लोग चिमनियों से निकलने वाले धुएं के साथ हर दिन अपनी सांसों की कीमत चुका रहे हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, कारखानों से निकलने वाली गैसें और धूलकण न केवल इंसानों बल्कि मवेशियों, फसलों और पेड़ों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहे हैं। कैंसर, दमा, टीबी और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल करोड़ों रुपये इलाज में खर्च होते हैं, पर स्वस्थ जीवन की उम्मीद कम होती जा रही है।
हवा के मानक स्तर कई बार खतरनाक श्रेणी पार कर जाते हैं। नवंबर माह से बेगूसराय देश के सबसे प्रदूषित जिलों में शुमार हो गया है, वह भी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, नोएडा और मुंबई जैसे औद्योगिक शहरों को पीछे छोड़ते हुए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिले की हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा लगातार बढ़ रही है। स्विट्ज़रलैंड की संस्था IQAir द्वारा जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2023 में बेगूसराय का औसत PM 2.5 स्तर 118.9 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया है, जो सामान्य मानकों से कई गुना अधिक है। स्थिति यह रही कि शहर का AQI 400 के पार पहुंच गया था, जबकि 2024 में भी यह आंकड़ा 300 से ऊपर दर्ज किया गया।
बेगूसराय के लोग अब प्रशासन से ठोस कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों की मांग है कि DM, नगर निगम आयुक्त तथा बरौनी रिफाइनरी प्रबंधन त्वरित कदम उठाकर बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करें, वरना आने वाले समय में यह समस्या और भयावह रूप ले सकती है।

