जानिए कौन है CRPF के कमान संभालने वाले IPS आनंद प्रकाश माहेश्वरी

अब CRPF की कमान संभालेंगे नए आईपीएस अधिकारी आनंद प्रकाश माहेश्वरी, कविता लेखन का रखते है शौक

भारत की सबसे बड़ी पैरामिलिटरी की कमान संभालने आ चुके है आनंद प्रकाश माहेश्वरी 1984 के बैच से पासआउट हुए माहेश्वरी कई सालो का गहरा तजुर्बा रखतें है और यही नहीं वह कवी की हैसियत से हिंदी व अंग्रेजी में लेख भी लिखते है इसके साथ साथ वह एम् बी ए भी कर चुके है। इनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक रहेगा।

क्या है इनमें ख़ास

आपको बता दें की अब तक वह गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) के रूप में कार्य संभाले हुए थे। माहेश्वरी ने ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) में भी दिशा निर्देशन करने का तजुर्बा है। सीमा सुरक्षा बल में भी अच्छा ख़ासा हाथ साफ़ है इसीके साथ साथ नॉर्थ-ईस्ट, कश्मीर, नक्सल प्रभावित राज्यों और सीमा सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। आपको बता दें की माहेश्वरी राजस्थान के रहने वाले है उनका स्कूली जीवन कोटा ,जयपुर ,और अजमेर में बीता है। उनकी ग्रेजुएशन दिल्ली के श्रीराम कोलगे से पूरी हुयी है और उसके बाद एम् बी ए के लिए आर.ए. पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में दाखिला लिया।

इसके बाद वह पुलिस में आकर ‘सांप्रदायिक दंगों के प्रबंधन’ विषय पर पी एच डी कर डाली। वह हिंदी एवं अंग्रेजी में बहुत हे अच्छे ढंग से संप्रादायिक विषयों पर लिखते है उनके 40 से भी ज्यादा लेख बाजार में प्रकाशित करे जा चुके है। उनकी कुछ किताबों एवं कविताओं के नाम। ‘कम्यूनलिज्म हैडल्ड विद ए डिफरेंस’, ‘बीसवीं सदी की बीस कहानियां’,‘कुछ पल विषाद के कुछ पल आनन्द के’ माहेश्वरी को अनेको पदक से भी सम्मानित करा गया है। वह कई समाज सेवा कार्यकर्ताओं के साथ उठते बैठते हैं और अनेकों सेवाएं हेतु पुलिस विभाग में ख़ास छवि बनाये हुए है।

उनकी एक चर्चित कविता

”जिन गीतों से सार न उपजे”

जिस डाली पर नीड़ बने ना
उस पर जा कर रहना कैसा
जिन राहों पर मंज़िल ना हो
उन पर चलना-चलना कैसा

जो डग सागर को ना जाए
उस पथ पर बहती क्यों नदिया
जो धारा तट तक ना जाए
उससे क्यों टकराती नैया

जिन पुष्पों में रंग न उभरें
उनका खिलना है क्या खिलना
जिनको जीवन मर्म न दरसे
उनका जीना भी क्या जीना

जो पयोद बे-मौसम बरसे
उसमें नाच नाचना कैसा
जिन बोलों से भरम न टूटे
उनको रटना-रटना कैसा

जिन तारों से वाद्य न फूटें
उनको कसना-कसना कैसा
जिन गीतों से सार न उपजे
उनको गाना, गाना कैसा…