बेगूसराय के मंझौल रेफरल अस्पताल में समय पर डॉक्टर मिल गए तो किस्मत समझिए

मंझौल ( बेगूसराय ) : मंझौल रेफरल अस्पताल में संसाधनों की कमी के कारण यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस अस्पताल में मरीजों की परेशानी का सबसे बड़ा कारण है, चिकित्सकों का गायब रहना। एकमात्र महिला चिकित्सक जब मन होता है आतीं हैं जब मन नहीं होता नहीं आतीं। ओपीडी में भी अधिकांश चिकित्सक गायब मिलते हैं।

अगर डॉक्टर मिल गए तो समझिए आपकी किस्मत अच्छी है। चिकित्सकों के गायब रहने से अब इलाज कराने आने से मरीज भी कतराने लगे हैं। इससे दिन प्रतिदिन अस्पताल में मरीजों की संख्या कम होने लगी है। बेगूसराय के मंझौल रेफरल अस्पताल में मंगलवार को जब द बेगूसराय के सहयोगी ने कैमरा घुमाई तो दिन के दस बजे एक भी चिकित्सक नजर नहीं आ रहे थे ।

किसी तरह जिंदा है रेफरल अस्पताल मंझौल : बताते चलें कि मंझौल की आबादी कुछ सालों में ही लाख के आंकड़ा के करीब पहुंच जाएगी। मंझौल रेफरल अस्पताल का बिल्डिंग उद्धघाटन के मात्र 30 साल में ही जर्जर हो गया। दूसरे तरफ करीब डेढ़ दशक पहले बनना शुरू हुआ अनुमंडलीय अस्पताल का निर्माण कार्य अबतक नहीं पूरा हो सका है। वहीं अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सकों के लिए जो आवास बनाया गया था उस भवन में ही दो साल से मंझौल रेफरल अस्पताल का अस्तित्व जिंदा है। क्योंकि उक्त भवन में अस्पताल के अनुरूप निर्माण कार्य न होकर आवासीय तौर तरीके से किया गया है। जिस वजह से किसी तरह से रेफरल अस्पताल को इस भवन में संचालित किया जा रहा है। रेफरल प्रभारी ने कहा कि मंझौल रेफरल अस्पताल बहुत ही दिक्कतों का सामना कर रहा है ।

मंगलवार सुबह 9 बजे के बाद दिख रहा था ऐसा नजारा : रेफरल अस्पताल में सभी कमरों की साफ सफाई की जा रही थी । कैम्पस में झाड़ू लगाए जा रहे थे । सफाई कर्मी महिला भर्ती हुए डिलेवरी पेशेंट मरीज के यत्र तत्र रखे सामानों से भन्ना रही थी। क्योंकि उसे झाड़ू देने में दिक्कत आ रहा था। सफाई में निकले कचरे को डस्टबिन में डालने के बजाए। एक कोने में जमा किया जा रहा था। कचरा मैनेजमेंट के बारे में पूछने पर पता चला कि कचड़ा को यही कोने में जला दिया जाता है। जिसके कुछ ही देर में सफाई कर्मी में कूड़े कचरों में आग लगाकर उसे जलाना शुरू कर दिया । निबंधन काउंटर , दवा काउंटर , लैब , यक्षमा केंद्र सभी जगह काउंटर खुले थे । मरीज की अल्पता थी । रानी देवी के पति यक्षमा की अंतिम समय अंतराल की दवाई लेकर जा रहे थे।

उनका कहना है कि पत्नी की हालत में सुधार है। उनके चेहरे पर सन्तोष झलक रहा था । दवा काउंटर पर फार्मासिस्ट के पोस्ट पर तैनात महिला स्वास्थ्यकर्मी बलिया अनुमंडल की पोस्टेड ए ग्रेड की नर्स ,उनका यहां फार्मासिस्ट के रूप में प्रतिनियुक्ति की गई है। जैसे उनसे बात करने की कोशिश की गई वो झल्ला उठी। बोलीं विभागीय रवैये से मेरा तो डिमोशन हो गया। रोज 6 बजे सुबह बलिया से निकलते हैं तब जाकर समय से यहां पहुंचते हैं। अधिकारियों की मनमानी के कारण मुझे इतनी दूर रोजाना प्रतिनियुक्त किया गया है। तीनों काउंटर पर अन्य दिनों की अपेक्षा कम लोग आ रहे थे।

ओपीडी समय तक इक्के दुक्के मरीज आते दिखते रहे। मंगलवार को करीब सवा दस बजे दिन में मंझौल रेफरल अस्पताल के कैम्पस में एक पुराने वृद्ध महिला पेशेंट ईलाज के लिए बैठी हुईं थे। ओपीडी कक्ष खाली था । जिसके कुछ देर बाद रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ अनिल प्रसाद कक्ष में आकर बैठते हैं । जिसके बाद स्वास्थ्य कर्मी वृद्ध महिला को चिकित्सकीय परामर्श के लिये बुलाती हैं। जिसके बाद डॉक्टर साहब का पेशेंट देखने का सिलसिला प्रारंभ होता है । हालांकि मरीजों की संख्या अन्य दिनों को अपेक्षा कम दिख रही थी परन्तु करीब एक घण्टे के भीतर दर्जन भर मरीज पहुच गए। बताते चलें कि मरीजों की तादात में बच्चे , महिला की संख्या अधिक थी ।

दिन में खिले धूप में चल रहा था डॉक्टर साहब का ओपीडी : ओपीडी कक्ष से निकलकर डॉ अनिल प्रसाद कैम्पस में खिले हुए धूप में बैठकर मरीज को देखने लगे थे। जिसके बाद एक एक करके मरीज परामर्श के लिए कैम्पस में धूप में बैठे रेफरल प्रभारी डॉ अनिल प्रसाद के पास पहुंच रहे थे। डॉ साहब सभी मरीजों से उनकी समस्या पूछ रहे थे और उनके पुर्जे पर दवाई लिख रहे थे । डॉ साहब से बातचीत में पता चला कि रोजाना छुट्टी के दिन छोड़कर 9 बजे से 12 दिन तक ओपीडी चलता है। मंगलवार को ओपीडी में डॉ स्वास्ति की ड्यूटी थी । परन्तु वो पारिवारिक कारणों से रेफरल प्रभारी को फोन कॉल पर अस्पताल पहुचने की असमर्थता जताईं , जिस वजह से रेफरल अस्पताल के पर प्रभारी को ओपीडी कक्ष में बैठकर मरीजों को देखना पड़ा ।

इलाज के लिए पहुंचे लोग पेयजल के लिए इधर उधर भटकते दिखे : मंझौल रेफरल अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने बाले मरीज और यहां के काम करने बाले कर्मियों के लिए स्वक्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं है। मंगलवार को अस्पताल पहुंचे लोग पेयजल के तलाश में इधर उधर भटकते दिखे । नजदीक में एक चापाकल दिख रहा था जो वर्षों से सूखा हुआ था। हालांकि पता करने पर पता चला कि रेफरल अस्पताल के पुराने भवन के समीप चापाकल पानी देने की अवस्था में था। परन्तु वहां की साफ सफाई को लेकर स्थिति बेहतर न होने के कारण और नजर से ओझल होने के कारण अधिकतर लोग पहुंच नहीं पा रहे थे ।