Begusarai News : बेगूसराय के मंझौल इलाके में कावर झील के किनारे बसे हरसाइन पुल के पास बन रहे चेक डैम के खिलाफ स्थानीय किसानों का ग़ुस्सा उफान पर है। बीते तीन दशकों से सरकारी योजनाओं की अनदेखी झेल रहे किसानों और मज़दूरों ने मोर्चा खोल दिया है। चेक डैम निर्माण के खिलाफ रविवार को सैकड़ों लोग अब आंदोलन पर उतर आए।
बड़ा जनसमूह, गगनभेदी नारों और नाराज़ चेहरों के बीच किसान नेता बच्चा यादव और सामाजिक कार्यकर्ता जयशंकर भारती ने मोर्चा संभाला। महासभा में गूंजती आवाज़- “35 साल से सरकार हमारी नहीं सुन रही, अब हम भी चुनाव में किसी की नहीं सुनेंगे!”
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, हरसाइन पुल के पास सरकार की ओर से चेक डैम का निर्माण कार्य चल रहा है। किसानों का आरोप है कि यह काम उनकी जानकारी और सहमति के बिना जबरन शुरू किया गया। न तो जल निकासी की कोई योजना बनाई गई, न ही इस बात का आकलन किया गया कि खेतों में पानी भरने से कितनी तबाही होगी। ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने सांसद, विधायक से लेकर डीएम तक को ज्ञापन सौंपा। एक जांच भी हुई, और रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से माना गया कि चेक डैम बनने से इलाके में जलजमाव की गंभीर आशंका है।
रिपोर्ट आई, खतरा माना गया- फिर भी काम शुरू?
किसानों का कहना है कि जांच रिपोर्ट को भी दरकिनार कर प्रशासन ने दोबारा निर्माण कार्य शुरू करा दिया। उनका आरोप है कि चेक डैम का मकसद सिंचाई सुविधा नहीं, बल्कि ठेकेदारी को फायदा पहुंचाना है। “हमारे खेत डूबेंगे, हमारी फसलें बर्बाद होंगी और हमें पूछा तक नहीं गया?” यह सवाल बार-बार उठता रहा महासभा से…
राजनीतिक बहिष्कार का एलान
इस विरोध का स्वर सिर्फ निर्माण कार्य के खिलाफ नहीं है, बल्कि अब यह आंदोलन राजनीतिक बहिष्कार में बदल चुका है। 20 गांवों के किसानों ने साफ शब्दों में एलान किया है- “अगर हमारी ज़मीन डूबेगी, तो कोई नेता वोट मांगने गांव में नहीं घुसेगा!” इस बार न सिर्फ मतदान का बहिष्कार होगा, बल्कि हर उस राजनीतिक दल से दूरी बनाई जाएगी, जो इस मुद्दे पर चुप है। जनसभा में मौजूद बुज़ुर्ग किसान कहते हैं- “हमारे लिए ये चुनाव नहीं, ज़िंदगी का सवाल है। खेत गए तो रोटी कहां से आएगी?”