Makhana Cultivation in Kanvar Tal of Begusarai

Kanvar Tal Begusarai : बेगूसराय का काबर टाल बनेगा मखाना हब; रोजगार भी, किसानों को मुनाफा भी..

Makhana Cultivation in Kanvar Tal of Begusarai : जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि मखाना आज के समय में वैश्विक पहचान बना चुका है। हाल फिलहाल की बात करें तो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा जो बजट पेश किया गया उसमें मखाना बोर्ड की स्थापना करने की घोषणा की गयी थी।

इसी कड़ी में हम बात कर रहे हैं, बिहार के बेगूसराय जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर मंझौल स्थित काबर टाल की…जो कभी जलभराव और बेकार समझी जाने वाली मानी जाती थी, लेकिन अब यही काबर टाल क्षेत्र की जमीन यहां के किसानों के लिए सोना उगलेगी। जी हाँ…सही सुन रहे है आप…

दरअसल, काबर टाल क्षेत्र की जमीन पर पहली बार मखाने की खेती शुरू की गई है और वह भी सफलतापूर्वक। जानकारी के अनुसार, यह ऐतिहासिक शुरुआत मंझौल गांव के जयमंगला गढ़ के नीचे करीब 25 बीघे जमीन पर की गई है, जिसमें पानी भरी जमीन पर मखाना की खेती की जा रही है।

कटिहार जिला से आए मखाना उत्पादक अजय कुमार और सुभाष मंडल ने स्थानीय किसानों बैजू सहनी, वीरेन्द्र कुमार सिंह, अशोक प्रसाद सिंह, और संजय सिंह की जमीन लीज पर लेकर इस प्रयोग की शुरुआत की। उनके अनुसार एक बीघा जमीन से 5 से 6 क्विंटल मखाना निकलने की संभावना है। देखा जाए तो वर्तमान में मखाने का बाजार मूल्य करीब 12 से 14 हजार रुपये प्रति क्विंटल है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है।

मालूम हो की मखाना की खेती जलभराव वाली भूमि में की जाती है और यही कारण है कि काबर टाल की दलदली और पानी भरी भूमि इसके लिए बेहद उपयुक्त साबित हो रही है। इस फसल की खेती लगभग 6 महीने में तैयार होती है और भारत सरकार इसकी खेती पर उच्च सब्सिडी भी देती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में फिलहाल लगभग 35 हजार हेक्टेयर में मखाने की खेती होती है। जिमसें करीब 25 हजार किसान इससे जुड़े हुए हैं। वैसे भी देश में सबसे अधिक मखाना उत्पादन करने वाला राज्य बिहार है। ऐसे में यदि काबर टाल क्षेत्र के स्थानीय किसानों को इसके लिए प्रेरित किया जाए और ट्रेनिंग दी जाए, तो काबर टाल क्षेत्र एक प्रमुख मखाना उत्पादन केंद्र बन सकता है। इससे न केवल क्षेत्र की आर्थिक स्थिति सुधरेगी बल्कि पलायन भी कम होगा।

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