Solar Light Yojana Scheme Scam Begusarao

बेगूसराय में सोलर योजना घोटाला: पूर्व पंचायत सचिव 14 लाख गबन के आरोप में गिरफ्तार

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बेगूसराय को अपराध मुक्त करने की मुहिम जारी है, लेकिन जिले से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो व्यवस्था और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर देते हैं। ताजा मामला बछवाड़ा थाना क्षेत्र का है, जहाँ दादुपुर पंचायत के पूर्व पंचायत सचिव मणिभूषण सिंह को करीब 14 लाख रुपये के गबन के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

क्या है पूरा मामला?

थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार उपाध्याय के अनुसार, वर्ष 2015 में सोलर लाइट योजना संचालित की गई थी। उस समय

  • मणिभूषण सिंह पंचायत सचिव,
  • और गिरधारी राम उपरोक्त पंचायत के मुखिया थे।

योजना के दौरान ग्रामीणों ने अनियमितताओं की कई शिकायतें दर्ज कराईं। शिकायत के आधार पर जांच की गई, जिसमें लगभग 14 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया। इसी वर्ष बछवाड़ा थाना में एक प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी।

गिरफ्तारी कैसे हुई?

कोर्ट के सत्यापन के बाद पुलिस टीम ने आरोपी मणिभूषण सिंह को उनके घर से गिरफ्तार किया।
पुलिस ने पूछताछ के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत भेज दिया

पुलिस सूत्रों का कहना है कि मामले में आगे और भी कार्रवाई हो सकती है। विशेषकर उस समय के मुखिया गिरधारी राम की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

क्या सिर्फ पंचायत सचिव जिम्मेदार?

2015 में सामने आया यह घोटाला कई बड़े सवाल उठाता है—

  • क्या 14 लाख रुपये जैसी बड़ी राशि की गबन अकेले संभव है?
  • क्या योजना के अन्य जिम्मेदार लोग भी इसमें शामिल थे?
  • क्या निगरानी तंत्र में खामी थी या मिलीभगत?

यह मामला बताता है कि ग्रामीण विकास योजनाओं में फर्जीवाड़ा अभी भी एक वास्तविक और गंभीर समस्या है।

बेगूसराय में लगातार बढ़ती अनियमितताएँ

बेगूसराय जैसे महत्वपूर्ण जिले में बीते वर्षों में कई घोटाले उजागर हुए हैं— कभी सड़क निर्माण, कभी मनरेगा, तो कभी सोलर योजनाओं में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। यह स्थिति दिखाती है कि सिस्टम में निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत किए बिना विकास योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच सकता।

आगे क्या?

बछवाड़ा पुलिस ने संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में अब सख्ती बढ़ाई जाएगी। इस केस में भी आगे और गिरफ्तारियों या कानूनी कार्रवाई की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।

सवाल साफ है— गांव के विकास की योजनाएँ आखिर कब तक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहेंगी? और क्या बेगूसराय प्रशासन अब ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा?

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