नितिन गडकरी ने बेगूसराय को दी बड़ी सौगात, पांच हजार करोड़ की लागत से बनेगा मटिहानी शामहो सिक्‍स लेन पुल!

डेस्क : बेगूसराय जिला वासियों के लिए एक अच्छी खबर निकल कर सामने आई है, क्योंकि जिले में गंगा नदी पर एक और सड़क पुल बनने की प्रक्रिया तेज हो गई है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शाम्हो-मटिहानी सिक्स लेन पुल (Samho Matihani Six Lane Bridge) को लेकर 5000 करोड़ रुपए की घोषणा की, इसको लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने नितिन गडकरी को धन्यवाद दिया। बता दें कि शाम्हो-मटिहानी पुल बन जाने से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी, यह पुल बेगूसराय के NH- 31 और मुंगेर के NH-80 को एक साथ जोड़ेगा।

बताते चलें कि यह पुल बनाने के लिए डीपीआर तैयार हो गया है तथा डीपीआर तैयार करने वाली एजेंसी ने तीन अलग-अलग जगहों के सुझावों के साथ तैयार किया है। जिसमें प्राथमिकता के आधार पर बहदरपुर-बलहपुर-बिजुलिया के बीच पुल बनाने का सुझाव दिया गया है। 28.5 किमी लंबे इस प्रोजेक्ट में पानी बहने का 63 टनल, दो फ्लाईओवर एवं सड़क सम्पर्क के लिए दो छोटे-छोटे पुल बनेंगे। जो करीब 33532.44 करोड़ की प्रोजेक्ट में 185 हैक्टेयर जमीन की जरूरत होगी।

जबकि, दूसरा प्रस्ताव इनियार-रहाटपुर-सलहा के बीच पुल बनाने का तैयार किया गया है। जिसकी, लंबाई 23 किमी होगी। इसमें पानी बहने का 72 टनल, दो फ्लाईओवर तथा रोड सम्पर्क के लिए दो छोटे-छोटे पुल बनेंगे। जो करीब 3620 करोड़ की लागत में 185 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। तीसरा प्रस्ताव खातोपुर-मटिहानी-शाम्हो के बीच पुल बनाने का है। 33 किमी लंबे इस प्रोजेक्ट में पानी बहने का 81 टनल, दो फ्लाईओवर, एक रेल ओवर ब्रिज तथा सड़क सम्पर्क के लिए दो छोटे-छोटे पुल बनेंगे। 4991.74 करोड़ लागत में 207 हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेगी।

आपको बता दे की डीपीआर तैयार होने के बाद अब इसके चयन एवं सुझाव के लिए 12 फरवरी को बेगूसराय जिलाधिकारी, NHAI, स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा, विधान पार्षद सर्वेश कुमार, बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार, मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह एवं प्रखंड प्रमुखों की बैठक आहूत किया गया है।

मालूम हो की गंगा के दक्षिणी पार बसा बेेेगूसराय का शाम्हो आजादी के करीब 75 साल बाद भी विकास से काफी दूर है। यहां के लोगों का तीन महीना से अधिक तक सब कार्य नाव के सहारे ही चलता है। यहां तक की लोगों को अनुमंडल एवं जिला मुख्यालय आने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ता है या फिर लखीसराय होकर 75 किमी से अधिक दूरी तय करनी पड़ती है।