बेगूसराय : सुनसान जगह पर है सामुदायिक रसोई, रात में भूत और दिन में पुलिस से डर लगता है साहेब

छौड़ाही (बेगूसराय) : कोरोनावायरस से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन में गरीब गुरबों को भोजन में हो रही दिक्कतों को देखते हुए प्रशासन द्वारा छौराही प्रखंड मुख्यालय के ठीक सामने मध्य विद्यालय सावत हिंदी में सामुदायिक रसोई विगत चार-पांच दिनों से संचालित हो रही है। यहां प्रतिनियुक्त रसोई इंचार्ज के गायब रहने, सुनसान स्थल एवं प्रचार-प्रसार के अभाव के कारण लोग यहां नहीं आ पा रहे हैं।

इस सुनसान स्थल पर रात में आने में भूत का डर एवं दिन में पुलिस के डंडे डर लगा रहता है। दो चार बच्चों को सुबह-शाम भोजन करा कर्तव्य की इतिश्री हो रही है। वही छौड़ाही बाजार एवं आसपास के गरीब लोग भूखे रह रहे हैं। सामुदायिक रसोई के किचन के फर्श पर रखी गई रोटियां एवं बिना मास्क के काम कर रहे कर्मी कोरोना संक्रमण गाइड लाइन का खुलेआम उल्लंघन करते नजर आ रहे हैं। सुबह और संध्याकालीन भोजन तैयारी के दौरान व्यवस्था के 1 घंटे तक की ऑन स्पॉट स्थिति।

मंगलवार शाम छह से सात बजे : प्रतिनियुक्त कर्मी मनोज रजक एक कुर्सी पर बिना मास्क के ही बैठे हैं। उनके बगल में बिना मास्क के दो तीन व्यक्ति खड़े हैं। फोटो खींचते देख सभी जेब से मास्क निकालकर पहनने लगे। उन्होंने बताया कि अभी रसोईया आ रही है। सात बजे भोजन रेडी मिलेगा। यहां हाथ धोने के लिए साबुन या सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं थी। आधे घंटे बाद दो महिला रसोईया आलू चना की सब्जी एवं रोटी बनाने में लगी थी। किचन में यत्र तत्र कचरा फेंका है। रोटी बनाने हेतु एक परात मे आटा रखा हुआ है। उसी के बगल में एक गंदा जूट का बोरा रखा है। जिससे धूल उड़कर आटा में प्रवेश कर रहा है। टोकने एवं फोटो खींचते देख रसोइया झटपट साफ सफाई में भिड़ गई।

रसोईया ने भी मास्क नहीं पहन रखा था। बताई सैनिटाइजर क्या होता है पता नहीं है। अभी तक व्यवस्था के प्रभारी अंचल निरीक्षक सुरेंद्र कुमार सामुदायिक रसोई के अंदर नहीं पहुंचे हैं। अभी तक खाना खाने एक भी व्यक्ति नहीं पहुंच पाए हैं। किचन में फर्श पर ही 50-60 रोटियां रखी हुई है। क्योंकि रोटी रखने का बर्तन अधिकारी ने उपलब्ध नहीं कराया है। सब्जी में भी चना एवं आलू कम पानी ज्यादा दिख रहा है। पूछने पर प्रतिनियुक्त कर्मी मनोज रजक ने बताया कि जो सीआई साहब दिये हैं वह बन रहा है। सीआई साहब अभी तक नहीं आए हैं, वही जानकारी देंगे। किचन के साथ साथ विद्यालय परिसर में चकाचक साफ सफाई थी। हालांकि रसोईया एवं भोजन खाने आए बच्चे मास्क नहीं पहने थे।

10:00 से 11:00 बजे दिन तक मात्र 4 बच्चे ही भोजन करने वहां पहुंचे ।भोजन कर लौट रहे बच्चे अंकित सुरेंद्र रितिक ने बताया कि रात में नहीं आते हैं। घर दूर है इस भूतहा सुनसान स्थल पर रात में इसलिए नहीं आते हैं कि भूत प्रेत से डर लगता है। मम्मी पापा भी इसी चलते ना आते हैं ना हम को आने देते हैं। अभी दिन में पापा मम्मी काम पर गए हैं तो आ गए। बाहर खड़े मोहम्मद दानिश आलम का कहना था कि 1 घंटे से खड़े हैं एक भी व्यस्क व्यक्ति भोजन करने नहीं आए हैं। गरीब बस्ती में सामुदायिक किचन खोलना था ,यह सुनसान स्थल पर खोल दिया तो लोग कैसे आएंगे। बगल में खड़े अवधेश कुमार सिंह का कहना था कि बगल में थाना है। पुलिस वाला बाजार तो जाता नहीं है यहां आने वाले पर डंडा चलाता है। भोजन खाने लोग कैसे आ पाएंगे। यहां पर सभी संपन्न लोगों का घर है ।गरीब बस्ती में किचन खोलना चाहिए था।

अभी भी तक सामुदायिक रसोई के इंचार्ज सुरेंद्र कुमार सिंह यहां नहीं पहुंचे थे। विद्यालय में मौजूद प्रधानाध्यापक कुशेश्वर प्रसाद यादव का कहना था कि देखिए हम सभी व्यवस्थाएं ठीक रखे हुए हैं । लेकिन लोग ही नहीं आ रहे हैं। दो चार बच्चे को पकड़कर किसी तरह लाए हैं और भोजन करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम तो जितना भोजन कराएं उतना ही रिपोर्ट देते हैं। बच्चे भोजन रसोईया ले जाते हैं। प्रधानाध्यापक कुशेश्वर यादव ने स्वीकार किया कि सुनसान स्थल पर रसोई संचालित होने के कारण लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं।