बखरी विधानसभा चुनाव 2025: बेगूसराय जिले की बखरी विधानसभा सीट (सुरक्षित), बिहार की राजनीति में हमेशा खास रही है। कभी इसे वामपंथ का अभेद्य गढ़ कहा जाता था, लेकिन समय के साथ यहां सीपीआई, राजद और भाजपा बारी-बारी से सत्ता में रही हैं। अब 2025 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। वामपंथ का किला या भाजपा-राजद की वापसी? जानिए पूरा राजनीतिक इतिहास और मौजूदा समीकरण
बखरी विधानसभा का भौगोलिक दायरा
यह सीट गढ़पुरा, बखरी और डंडारी प्रखंड के पूरे क्षेत्र तथा नावकोठी प्रखंड के नावकोठी, हसनपुर बागर, रजाकपुर, समसा, डफरपुर और पहसारा पूर्वी पंचायतों को मिलाकर बनी है। यह बेगूसराय जिले की एकमात्र सुरक्षित (SC) विधानसभा सीट है।
1952 में यह सीट सुरक्षित नहीं थी, जबकि 1957 में इसे बेगूसराय उत्तर के तहत सुरक्षित घोषित किया गया।
बखरी का राजनीतिक इतिहास (1952 से 2020 तक)
1952 से 1962: कांग्रेस का दबदबा
- 1952: कांग्रेस के शिवव्रतनारायण सिंह पहले विधायक चुने गए।
- 1957 और 1962: कांग्रेस के मेदिनी पासवान ने लगातार जीत दर्ज की।
1967 से 1980: वामपंथ का किला मजबूत
- 1967 और 1969: सीपीएम के युगल किशोर शर्मा ने जीत दर्ज की।
- 1972, 1977 और 1980: सीपीआई के रामचंद्र पासवान ने लगातार तीन बार जीतकर बखरी को वामपंथ का गढ़ बना दिया।
1985 से 1995: रामविनोद पासवान का दबदबा
- 1985: सीपीआई ने रामविनोद पासवान को मैदान में उतारा, जिन्होंने 1985, 1990 और 1995 के चुनाव जीते।
2000 से 2005: राजद और वामपंथ की खींचातानी
- 2000: राजद के रामानंद राम ने पहली बार वामपंथी किले को तोड़ा।
- 2005 (फरवरी व नवंबर): रामविनोद पासवान ने दोबारा सीपीआई की जीत सुनिश्चित की।
2010 से 2020: भाजपा की एंट्री और वामपंथ की वापसी
- 2010: रामानंद राम ने राजद छोड़ भाजपा ज्वाइन की और भाजपा को पहली बार जीत दिलाई।
- 2015: राजद ने सीट पर कब्जा जमाया।
- 2020: सीपीआई ने राजद के साथ गठबंधन कर वापसी की और सूर्यकांत पासवान ने जीत दर्ज की।
2025 के चुनावी समीकरण—कौन मारेगा बाजी?
सीपीआई (वामपंथ)
मौजूदा विधायक सूर्यकांत पासवान फिर दावेदारी में हैं। अगर राजद गठबंधन में यह सीट सीपीआई को छोड़ती है तो वामपंथ को बड़ा फायदा होगा।
राजद (RJD)
पूर्व विधायक उपेंद्र पासवान के अलावा कई दावेदार सक्रिय हैं। सीट के लिए अंदरूनी खींचतान और गठबंधन की रणनीति अहम होगी।
भाजपा (BJP)
भाजपा में दावेदारों की लंबी सूची—
- रामशंकर पासवान (पिछले चुनाव में मामूली अंतर से हार),
- रामानंद राम (पूर्व विधायक),
- विनोद राम (प्रदेश प्रवक्ता, अनुसूचित जाति मोर्चा),
- मीनू राम (वरिष्ठ भाजपा नेत्री),
- सुरेंद्र पासवान (अध्यक्ष, जिला परिषद बेगूसराय)।
लोजपा (रामविलास)
रामबिनोद पासवान के मैदान में उतरने की चर्चा है, जो दलित वोटों में सेंध लगा सकते हैं।
जन सुराज की एंट्री—गेमचेंजर?
जन सुराज की एंट्री ने मुकाबले को और पेचीदा बना दिया है।
संभावित उम्मीदवार:
- पूर्व डीएसपी रामचंद्र राम
- बखरी प्रखंड प्रमुख शिवचंद्र पासवान
- डॉ. संजय कुमार
तीनों नेताओं की सक्रियता ने इस चुनावी मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
मुख्य सवाल—2025 में कौन जीतेगा?
- क्या वामपंथ का किला बरकरार रहेगा?
- क्या भाजपा या राजद बाजी मारेंगे?
- या जन सुराज और लोजपा (रामविलास) जैसी नई ताकतें समीकरण बदल देंगी?
बखरी विधानसभा की राजनीति हमेशा उतार-चढ़ाव से भरी रही है। 2025 के चुनाव में गठबंधन की स्थिति और उम्मीदवारों की अंतिम घोषणा के बाद ही असली मुकाबला साफ होगा। फिलहाल सभी दलों के संभावित उम्मीदवार गांव-गांव जाकर जनता का मूड भांपने में जुट गए हैं।