सदन में हो हंगामे से लोगों में लोकतंत्र के प्रति गुस्सा पैदा होता है – पूर्व मंत्री रामजीवन सिंह

न्यूज डेस्क : मंगलवार को बिहार विधानसभा में लाये गए विशेष पुलिस विधेयक का विरोध करने के दौरान सदन के अंदर ही पुलिस बल के द्वारा विपक्षी विधायकों की खूब पिटाई हुई। यह मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ने लगा है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री व वयोवृद्ध समाजवादी नेता रामजीवन सिंह ने इस घटना को विशेष पीड़ादायक बताया है। द बेगूसराय से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था चलती है बहस से, विमर्श से, वोट से, आपसी समझौता से, आपसी सहयोग से, आपसी सामंजस्य से , इसीलिए सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष दोनों को हमेशा याद रखना चाहिए सदन के अंदर कोई ऐसा काम न करें जिससे संसदीय प्रणाली पर आंच आबे।

सदन बहस करने की चीज है बल प्रयोग करने का जगह नहीं है। कदाचित किसी मुद्दे पर हो तो लोकतांत्रिक तरीके से सदन से वाकआउट कर जाएं प्रतीकात्मक रूप से सदन से वाकआउट कर जाएं कुछ मिनटों के लिए फिर जाएं और सदन की कार्रवाई को चलने दें। सदन में दोनों पक्षों में सबकुछ प्रतीकात्मक होता है प्रतिशोध नहीं होता है। जब ये सारी चीजें सदन में होते देखता हूँ तो बड़ी पीड़ा होती है। ऐसी घटना से से लोगों को नफरत होता है और नफरत से गुस्सा पैदा होता है। गुस्सा लोकतंत्र की जड़ को उखाड़ के फेंक के उग्रवाद को पैदा करता है। लोकतंत्र मात्र चुनाव नहीं है , लोकतंत्र जीवन शैली है। पुलिस बलों का विधायक के साथ किये गए बर्ताव को उन्होंने दुःखद बताया है।