बखरी CO तय करेंगे रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी की 50 एकड़ जमीन का मालिकाना हक?

बखरी/बेगूसराय : ऐतिहासिक रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी की 50 एकड़ जमीन का मालिक कौन है? रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी यानी ठाकुर जी विराजमान स्वयं या कोई और? क्या यह निजी संपत्ति है या फिर ठाकुर जी विराजमान की? यह सवाल इन दिनों अंचल कार्यालय बखरी से लेकर मक्खाचक-रामपुर गांव के लोगों व रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी में आस्था रखने वाले हजारों धर्मावलंबियों में चर्चा का विषय है।

दरअसल, रामपुर स्थल की 50 एकड़ बेशकीमती जमीन पर पूर्व ‘महंथ’ स्व. सियाराम दास के पुत्र गौरव सावर्ण ने मालिकाना हक का दावा करते हुए अंचल कार्यालय (CO) बखरी में स्वयं के नाम से दाखिल खारिज कर जमाबंदी कायम करने का आवेदन दे रखा है। हालांकि अंचलाधिकारी (CO) बखरी ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन अंचल कार्यालय (CO) के सूत्र बताते हैं कि अंचलाधिकारी बखरी पर 50 एकड़ जमीन की जमाबंदी गौरव सावर्ण के नाम से करने का भारी दबाव है।

इस खेल में कई बड़े खिलाड़ी भी बैटिंग कर रहे हैं। करोड़ों रुपए बाजार मूल्य वाले इस बेशकीमती जमीन पर पूर्व ‘महंथ’ स्व. सियाराम दास के पुत्र गौरव सावर्ण इस आधार पर अपना दावा जता रहे हैं कि वह ‘महंथ’ स्व. सियाराम दास के पुत्र हैं तथा स्व. महंथ भरतदास उनके दादा थे। इस आधार पर वह सरकार द्वारा आवंटित दो यूनिट यानी 50 एकड़ जमीन के वैध कानूनी उत्तराधिकारी हैं।

अपने दावे को पुष्ट करने के लिए वह पटना हाईकोर्ट के एक फैसले को आधार बना रहे हैं जिसमें हाईकोर्ट ने रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी को प्राइवेट ट्रस्ट की ठाकुरबाड़ी माना था। दरअसल, यह मामला पटना हाईकोर्ट इसलिए पहुंचा था कि बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी को पब्लिक ट्रस्ट की ठाकुरबाड़ी मानते हुए इसके अधिग्रहण की कोशिश की थी। लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश से यह कहीं स्पष्ट नहीं होता है कि प्राइवेट ट्रस्ट वाले रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी की जमीन का मालिक कोई निजी व्यक्ति हो सकता है?

दूसरा ये कि सरकार ने रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल को सीलिंग से अधिशेष जो 50 एकड़ जमीन स्व. महंथ भरतदास के नाम से आवंटित किया था, वह रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी के लिए प्रयोजन के लिए है या व्यक्तिगत प्रयोजन के लिए। तीसरा ये कि जब महंथ भरतदास ने कोई शादी ही नहीं की थी और आजीवन ब्रह्मचर्य रहे, उनका कोई औलाद नहीं था तो फिर इस जमीन का उत्तराधिकारी कौन और किस आधार पर हो सकता है? चौथा ये कि गौरव सावर्ण, महंथ भरतदास के कौन हैं? उनसे उनका क्या रिश्ता है?

पांचवां ये कि जिन 50 एकड़ जमीन पर सावर्ण ने दावा पेश किया है क्या उन सभी प्लाट्स पर उनका दखल कब्जा है? मालूम हो कि रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल को बिहार सरकार ने पत्रांक -712 दिनांक – 31.03.2001 को गजट नोटिफिकेशन जारी कर ठाकुरबाड़ी के संचालन के लिए कुल दो यूनिट यानी 50 एकड़ जमीन सीलिंग से छूट में दी थी। सीलिंग से छूट में यह जमीन रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल के अंतिम महंथ स्व. भरतदास के नाम सरकार ने आवंटित की थी।

राजस्व विभाग के रजिस्टर -2 में भी यह जमीन महंथ स्व भरतदास के नाम से जमाबंदी दर्ज कर रखा है।लेकिन अब इस जमीन पर पूर्व ‘महंथ’ स्व. सियाराम दास के पुत्र गौरव सावर्ण पैतृक सम्पत्ति होने के आधार पर मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं और स्वयं के नाम से दाखिल खारिज कराकर जमाबंदी कायम कराना चाहते हैं।

गौरव सावर्ण का कहना है कि रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी उनकी निजी संपत्ति है। उनके पूर्वजों ने अपने घर में निजी ठाकुरबाड़ी की स्थापना की थी। यह कोई पब्लिक ठाकुरबाड़ी नहीं है। इसलिए इस ठाकुरबाड़ी की संपत्ति, जमीन जायदाद उनकी निजी संपत्ति है। इस पर किसी का कोई अधिकार नहीं बनता है।

वह चुनौती देते हैं कि अगर किसी को इससे आपत्ति है तो वह सामने आकर दिखाए। हालांकि वह यह मानते हैं कि उनके पिता से पहले के पूर्वजों ने विवाह नहीं था और वे अपने उत्तराधिकारियों को गोद लेते थे। लेकिन गोद लिए जाने के संबंध में कोई कानूनी दस्तावेज है या नहीं इस संबंध में उन्होंने कुछ नहीं कहा।

क्या है रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल का डीड

रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी के 24.05.1921 के डीड (दानपात्र) के पारा-2 में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल का संचालन शुरू से ही गुरु-शिष्य परंपरा के तहत चलता रहा है, जिसमें महंथों के लिए वैराग्य जीवन जीना, अविवाहित रहना, पूजा-पाठ करना, भोग लगाना व ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य शर्त है।

साथ ही ठाकुरबाड़ी स्थल पर आने वाले साधु-संतों, सन्यासी अतिथियों के रहने, खाने व स्वागत करने की व्यवस्था करना महंथ की जिम्मेदारी थी। इसी गुरु शिष्य परंपरा के तहत शुरू से रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी का संचालन होता रहा और ठाकुरबाड़ी के महंथ दरअसल ठाकुरबाड़ी के सेवायत रहे ना कि मालिक।

मक्खाचक – रामपुर गांव के लोगों का कहना है कि रामपुर स्थल ठाकुरबाड़ी के महंथ भरतदास के शिष्य (चेले) सियाराम दास ने अपने गुरु के जीवन काल में ही वैराग्य व ब्रह्मचर्य जीवन छोड़ दिया और विवाह कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर गए। लिहाज़ा अंतिम महंथ स्व. भरतदास ने अपने चेले स्व. सियाराम दास को अपना शिष्य घोषित नहीं किया और किसी को भी बगैर उत्तराधिकारी घोषित किए वह परलोक सिधार गए। इसके बाद महंथ सियाराम दास रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल के स्वघोषित महंथ हो गए। एक जुलाई 2021 को स्वघोषित महंथ सियाराम दास का भी निधन हो गया।

क्या कहना है रामपुर गांव के लोगों का

रामपुर गांव के निवासियों का कहना है कि स्व. सियाराम दास ने अपने जीवन काल में ही रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल में गुरु-शिष्य परंपरा को समाप्त कर दिया था। शादी-विवाह कर गृहस्थ जीवन अपनाने के कारण, मठ परंपरा व 1921 के दानपात्र के मुताबिक सियाराम दास को ही वैराग्य परंपरा व सामाजिक रूप से भी महंथ नहीं माना जा सकता है। स्व. सियाराम दास स्वयंभू महंथ थे। उन्हें महंथ के रूप में कोई कानूनी या सामाजिक मान्यता नहीं थी।

फिर उनके पुत्र गौरव सावर्ण का रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल की जमीन पर किसी प्रकार से कोई दावा करने का ना तो कोई आधार और ना ही कोई अधिकार ही बनता है। वह गैरकानूनी तरीके से स्थल की जमीन को अपनी पैतृक सम्पत्ति के आधार पर उत्तराधिकार के आधार पर दावा कर रहे हैं, जो कि सरासर ग़लत है।

रामपुर ग्राम वासियों का कहना है कि यदि किसी अधिकारी ने गैर कानूनी तरीके से रामपुर ठाकुरबाड़ी स्थल की जमीन का दाखिल खारिज व जमाबंदी कायम किया तो उनके खिलाफ गांव के लोग सड़क पर भी उतरेंगे और अदालत में भी लड़ाई लड़ेंगे।

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