बखरी पुस्तकालय का द्विवार्षिक आम चुनाव 29 दिसंबर को

बेगूसराय बखरी में क्षेत्र की की गरिमा को बरकरार बचाये रखने वाली शैक्षणिक धरोहर श्री विश्वबंधु पुस्तकालय, बखरी का द्विवार्षिक सत्र 2020-21 का आम चुनाव आगामी 29 दिसंबर को संपन्न कराया जाएगा। पुस्तकालय के निर्वाची पदाधिकारी व शिक्षक भोला चौधरी ने इस संदर्भ में सोमवार को निर्वाचन कैलेंडर जारी करते हुए बताया कि आगामी 18 दिसंबर को मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा। 20 दिसंबर को प्रकाशित मतदाता सूची पर आपत्ति तथा 21 दिसंबर को आपत्ति का निष्पादन किया जाएगा।

वहीं 22 दिसंबर को पूरक मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा। वहीं 23 दिसंबर को नामांकन की तिथी निर्धारित की गई है। 24 दिसंबर को नामांकन पत्र की संवीक्षा तथा 25 दिसंबर को नाम वापसी की तिथी निर्धारित है। 26 दिसंबर को प्रत्याशियों की बैठक आयोजित किया जाएगा। चुनाव आगामी 29 दिसंबर सुबह आठ बजे से तीन बजे तक कराया जाएगा। उसी दिन मतगणना के पश्चात परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। 31 दिसंबर को विशेष समिति के सदस्यों का चयन की प्रक्रिया की जाएगी। निर्वाची पदाधिकारी भोला चौधरी ने बताया कि निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के लिए सभी आवश्यक तैयारी शुरू कर दी गई है।

विदित हो कि बखरी पुस्तकालय का निर्वाचन किसी लोकसभा चुनाव से कम चर्चित नहीं है, बल्कि बड़े पैमाने पर बुद्धिजीवनियों के द्वारा गोलबंद होकर शिक्षित व कर्मठ व्यक्ति को चुनकर पुस्तकालय संचालन का काम सौंपते हैं।
यह चुनाव भविष्य के राजनीतिक पारियों को केन्द्रित करती है, यही कारण है कि लोगों का मानना है जो यहाँ चुनाव जीता वह भविष्य के राजनीतिक पारियों का कोकहरा भी सीख गया है।

बुद्धिजीवीयों के इस चुनाव में वे सभी मापदंड अपनाये जाते हैं जो एक लोकसभा का प्रारूप है। यहाँ एक लिखित संविधान है जो भारतीय संविधान के तर्ज पर है, जिसके आधार पर पूरी प्रक्रिया होती है तथा इसी संविधान के तहत पुस्तकालय का संचालन किया जाता है। चुनावी रेस की बात करे तो संभावित उम्मीदवारों में अध्यक्ष पद के लिए क्षेत्र के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विशाल, सीताराम केसरी, शिक्षक राजीव कुन्नु, कौशल किशोर क्रांति, उपाध्यक्ष पद से जयशंकर जयसवाल, द्रवेश्वर सहनी, ब्रजमोहन त्यागी, संतोंष गुड्डू तथा सचिव पद के लिए डॉ आलोक आर्यन, पवन कुमार सुमन, विकास पोद्दार, संजीव आजाद आदि के नाम की चर्चा हो रही है। जिसकी हकीकत तस्वीर नामनिर्देशन के बाद ही पता चलेगा।

बहरहाल पुस्तकालय चुनाव को लेकर बुद्धिजीवियों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है, लोग अपनी बातों को सोशल नेटवर्क व्हास्अप, फेसबुक, इस्टाग्राम आदि के माध्यम से रखकर सरगर्मी बनाये रखें हुए हैं।