जानिए क्यों बेगूसराय यह अनोखी जोड़ी बनी समाज के लिए मिसाल

बछवाड़ा राकेश यादव : बेगूसराय में एक अनोखी शादी देखने को मिली है इस शादी ने समाज को एक नया नजरिया दिया है एक नई मिसाल पेश की है, सभी लड़का या लड़की को हमसफर की तलाश होती हैं जो उनकी तरह ही सक्षम हो, कोई भी असक्षम से शादी करना पसंद नहीं करता। लेकिन एक ऐसी खबर ने आज दिल जीत लिया जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है.

यह खबर साबित करती है कि समाज में आज भी इंसानियत जिंदा है. हम बात कर रहे हैं बेगूसराय के बछवारा आलमपुर ठाकुरबारी की जहां दो दिव्यांग परिणय सूत्र में बंधकर एक नई मिसाल पेश की है. बता दे कि नारेपुर जोकहा वार्ड का निवासी राजेंद्र महतो उर्फ पोंगल महतो का 30 साल का पुत्र मिथलेश कुमार पूर्ण रूप से विकलांग है उसके दोनों पैर और रीढ़ बिल्कुल नाकाम है। दिव्यांग मिथिलेश ने बताया कि जन्मजात दिव्यांगता के कारण जिंदगी में अनेक बार उसका मजाक बना है उसे कहीं इज्जत नहीं मिली.

मगर समाजिक उपेक्षा के बाद भी उसने हार नहीं मानी उसने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से प्राथमिक विद्यालय की शिक्षा, मध्य विद्यालय नारेपुर से प्राप्त किया. मगर शायद किस्मत में पढ़ाई पूरी करना नहीं लिखा था परिवार की गरीबी से परेशान होकर दिव्यांग मिथिलेश ने गांव में ही कर्ज लेकर किराना दुकान खोल दी. इस व्यवसाय में कड़ी मेहनत का नतीजा है कि अब कर्ज चुकाने के साथ-साथ अच्छी कमाई भी हो जाती है बावजूद इसके शादी के लिए रिश्ते की बात करने वाले मेहमान को भी गांव के लोग भ्रमित करते रहे। गांव वाले दिव्यांग मिथिलेश की शादी नहीं होने दे रहे थे लेकिन तेघरा प्रखंड के गौरा वार्ड 9 निवासी रामचंद्र महतो की 25 साल की बेटी कोमल कुमारी के साथ दिव्यांग मिथिलेश का विवाह तय हो गया. गुरुवार की रात आलमपुर ठाकुरबारी में सारे मांगलिक कार्य हुए।

बता दें कि लड़की भी मूक-बधिर विकलांग है. वर बधू एक साथ अग्नि को साक्षी मानकर सात जन्मो तक जीने मरने की कसमें खाई ,और इस विवाह ने समाज को यह दिखा दिया है कि आप की उपेक्षा से किसी का मनोबल खत्म नहीं हो सकता। दिव्यांग मिथलेश दिव्यांग होने के बावजूद अपनी मेहनत से अच्छा कमा भी रहा है और अब शादी करके अपने नए जीवन की शुरुआत भी की है।