जब 2 प्वाइंट्स से हो जाता है काम तो ये तीसरा छेद क्यों होता है? जान लीजिये इसका काम…

Tech Knowledge: आज हर घर में बिना बिजली के कोई काम नहीं होता है और बिजली को एक बोर्ड के माध्यम से दूसरे अन्य उपकरण को चलाया जाता है. दरअसल आपने अपने घर में स्विचबोर्ड तो देखा ही होगा जिसके जरिए हम पंखा, लाइव, टीवी, कूलर, वाशिंग मशीन जैसे अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण यूज़ करते हैं.

लेकिन क्या आपने कभी गौर किया कि सॉकेट में आखिर तीन छेद क्यों होता है जब हमारा काम दो छेद से चल जाता है. वैसे तो नीचे की तरफ दो छोटे छेद होते हैं जबकि ऊपर की तरफ एक बड़ा छेद होते है. हालांकि प्लग्स में अक्सर 3 से 5 छेद होते हैं, जिसमें दो छेद के माध्यम से किसी भी फोन को चार्ज या पंखा का प्लग, टीवी का प्लग, वाशिंग मशीन का प्लग, कूलर का प्लग लगाकर हम अपना काम करते हैं लेकिन इस तीसरे बड़े छेद का क्या काम होता है?

अर्थिंग के लिए बड़ा होता है तीसरा छेद

सॉकेट दो तरह के होते हैं जिसमें 1 सॉकेट में 3 छेद और दूसरे में 5 छेद होता है. अगर हम बात करें पहले तीन छेद वाले सॉकेट की तो इसमें दो छोटे-छोटे छेद नीचे और एक मोटा छेद ऊपर होता है. दरअसल इन दोनों छोटे छेद में करंट और न्यूट्रल वायर लगे होते हैं.

जबकि बड़ा छेद केवल अर्थिंग वायर के लिए लगा होता है यह सुरक्षा के लिहाज से लगाया जाता है. यदि कोई शार्ट सर्किट होती है तो अर्थिंग वायर करंट को जमीन में ले जाएगा और आपको बिजली के झटके से बचाने में काफी हद तक मदद करेगा.

मोटी पिन क्यों बनी होती है?

बता दे कि प्लग को हमेशा लंबा और मोटा बनाया जाता है जिसके पीछे का मुख्य उद्देश होता है सुरक्षा का ध्यान रखना. वही जब लग साकेत के छेद से जोड़ा जाता है तो इसका उपयोग दो ही सुरक्षा के लिए होता है. क्योंकि यह बड़े और मोटे प्लग के आकार से ढीली नहीं होती है जिसकी वजह से इसको बाहर आने में काफी समय लग जाता है.

जिसे इलेक्ट्रिक अर्थिंग को काफी मदद मिलती है जो सुरक्षा के लिहाज से काफी हद तक दुर्घटना को होने से बचाती है वही किसी भी व्यक्ति को करंट का हल्का सा झटका महसूस होता है. वहीं अगर अर्थिंग को न जोड़ा जाए तो किसी भी व्यक्ति की मौत भी हो सकती है