Railway : अब डबल इंजन के साथ चलेगी लंबी दूरी की ट्रेनें? जानें- क्या होगा इसका फायदा?

Railway : राजधानी दिल्ली से मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों को जोड़ने वाली ट्रेनों को उनके डेस्टिनेशन तक जल्दी से जल्दी पहुंचने का काम रेलवे तेजी से कर रहा है। रेलवे (Railway) ने इस बीच एक स्टडी का हवाला देते हुए कहा है कि अब ट्रेनों को पुश-पुल तकनीक का इस्तेमाल कर चलाया जायेगा।

इस तकनीक से ट्रेनों में डबल लोको यानी इंजन लगाया जाएगा। इस तकनीक से यह फायदा होगा की ट्रेनों की स्पीड जल्द ही काम कर सकेंगे और इसकी स्पीड को जल्दी ही बढ़ा सकेंगे। ऐसे में लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों के 2-3 घंटे बच जाएंगे।

समय की होगी बचत

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि पुश-पुल तकनीक का उपयोग करने से लंबी दूरी की ट्रेनों का समय बचेगा। किसके साथ ही रेलवे मंत्रालय ने दिल्ली से कोलकाता के बीच चलने वाली ट्रेनों की उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने की स्टडी भी की गई है।

इसमें पाया गया कि बीच-बीच में जहां-जहां भी ट्रेन तेज मोड़, कॉशन, स्टेशन स्टॉपेज और सिग्नल की वजह से स्लो या रुकीं और फिर यहां से चली। इस तरह से उसे रुकने और वापस स्पीड पकड़ता में काफी समय लग रहा है।

ट्रायल के दौरान हुई समय की बचत

इसी दूरी पर रेलवे मंत्रालय की तरफ से पुश-पुल तकनीक पर आधारित एक ट्रेन का ट्रायल किया गया। इस ट्रायल के दौरान दूरी को कवर करने में ट्रेन ने 2 घंटे 20 मिनट की बचत की है। ऐसा सर्वे कई और लंबे रूटों पर भी किया गया है।

उन सर्वे में भी समय की बचत देखी गई है। इसके बाद रेलवे (Railway) ने फैसला लिया है कि लंबी दूरी की ट्रेनों को पुश-पुल तकनीक से चलाने के लिए डबल लोको लगाए जाये। इस तकनीक पर आधारित 200 ट्रेन तैयार का विचार किया गया है। ताकि लंबी दूरी को कवर करने में लोगों का समय बच सके।

क्या सच में बचेगा समय

रेलवे मंत्रालय ने बताया कि वह कई फ्रंट पर जोर-शोर से काम कर रही है ताकि ट्रेनों का संचालन किया जा सके और लोगों के समय की बचत हो सके। इसके अलावा पुराने रेलवे ट्रैकों को बदलने के साथ ही पुरानी ट्रेनों की जगह नई ट्रेने लाने का फैसला भी किया गया है। लेकिन अगर पुश-पुल तकनीक से ट्रेन चलाई जाएगी तो सर्वे के अनुसार कुछ समय की बचत हो रही है। ऐसे में यात्री अपने घर 2-3 घंटे पहले पहुंच जाएंगे। इसके लिए पुश-पुल तकनीक में ट्रेनों के बीच में या फिर सिंगल इंजन सिस्टम से नहीं बल्कि कुछ ट्रेनों को डबल इंजन सिस्टम से चलाने की योजना है। इससे जहां ट्रेन जल्दी स्पीड पकड़ेंगी, वहीं जल्दी रोकी भी जा सकेंगी।