सुप्रीम कोर्ट बनाम सरकार ये मुद्दा और बहस दोनों ही काफी पुराने हैं, लेकिन एक आम नागरिक के नजरिए से आप इसे किस तरह समझते हैं? तो आईए आज बात करते हैं दोनों में कौन ज्यादा शक्तिशाली है और किसको कितने अधिकार हैं।
क्या है संसद और सरकार का संबंध?
संविधान में इस बात का कहीं स्पष्ट उल्लेख नहीं है की कौन बड़ा है सरकार या सुप्रीम कोर्ट लेकिन 1973 में केशवानंद भारती मामले में 13 जजों की अब तक सबसे बड़ी संविधान पीठ ने ये स्पष्ट किया था कि सुप्रीम कोर्ट ही सर्वोच्च है यानि ऐसा कहीं संविधान में उल्लेखित नहीं है, लेकिन संसद में बनाए गए किसी भी कानून या बिल पर सुप्रीम कोर्ट अपना अंतिम मत दे सकती है और यदि नियमों में कुछ मतभेद हो तो, संसद में बनाए गए किसी भी कानून को खारिज कर सकती है।
वहीं यदि हम संसद की बात करें तो संसद में चुने हुए देश के प्रतिनिधि यानि सांसद और विधायक मिलकर देश के हितों को लेकर बिल तैयार करते हैं और इन बिलों पर सर्वसहमति होने पर ये बिल ही कानून बन जाते है, लेकिन बीते कुछ समय से या हम कहें आज़ादी के बाद से ही संसद और सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर बहस और मतभेद बने रहते हैं, जहां हाल ही में एक बार फिर कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच मतभेद नज़र आए हैं।
कुछ समय पहले केन्द्रीय मंत्री किरण रीजीजु ने पत्र लिखकर न्यायधीश चंद्रचूर्ण से मांग की थी कि वो सरकार के प्रतिनिधियों को भी कॉलेजियम व्यवस्था में शामिल करें।
सुप्रीम कोर्ट और संसद के क्या हैं अधिकार?
सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायालय होता है, आपने सुना भी होगा लोग अक्सर आपसी विवाद में भी सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात करते हैं लेकिन असल में क्या करता है सुप्रीम कोर्ट?
- केंद्र और राज्यों के आपसी विवाद या किसी भी राज्य का विवाद सुप्रीम कोर्ट में ही सुलझाया जाता है।
- किसी भी निचली अदालत के फैसले पर अंतिम फैसला देने का अधिकार।
- जनहित के मामलों में राष्ट्रपति को सलाह देने का अधिकार
इसके साथ ही लीव पिटीशन पर सुनवाई करने का विशेष अधिकार भी सुप्रीम कोर्ट के पास होता है।
संसद के अधिकार- न्यापालिका यां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या राज्यों के मुख्यमंत्रीयों पर अंकुश लगाने और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट को समय समय पर फैसलों को बदलना होता है इससे ये साफ है की न्यायपालिका, कार्यपालिका से हमेशा ही बड़ी है।