क्या आप जानते हैं लोक सभा और राज्य सभा में अंतर? जानें- दोनों सदनों की विशेष पावर…

Difference Between Lok Sabha And Rajya Sabha? आजकल मानसून सत्र पर चर्चा जोरों पर है और हर खबर, हर अखबार और हर न्यूज़ चैनल पर संसद( राज्यसभा, लोकसभा) में किस मंत्री ने क्या भाषण दिया इस पर ही चर्चा हो रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं की क्या होती है लोकसभा और राज्यसभा?

भारतीय लोकतंत्र में तीन चरण हैं जिनमें पहला है राज्यसभा, दूसरा  लोकसभा और आखिरी है राष्ट्रपति। लोकसभा को निचला सदन या जनता का सदन भी कहा जाता है। वहीं राज्यसभा उच्च सदन कहलाता है। राज्यसभा का उल्लेख अनुच्छेद 80 में और लोकसभा का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद  81 में किया गया है। 

लोकसभा और राज्यसभा में क्या है अंतर 

चुनाव- लोकसभा में सभी सदस्य आम जनता द्वारा मतदान के आधार पर चुने जाते हैं, वहीं लोकसभा में सदस्यों को  राज्य विधानसभा के चुने गए सदस्यों द्वारा ही चुना जाता है। 

सीटें- लोकसभा की अधिकतम सीटें 552 हैं, वहीं राज्यसभा में ये संख्या 250 है।  

कार्यकाल- लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। वहीं राज्यसभा में हर 2 साल में एक तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं, इसका कार्यकाल 6 वर्ष होता है। 

उम्र- लोकसभा में सदस्य बनने की न्यूनतम सीमा 25 वर्ष है, वहीं राज्यसभा में ये उम्र 30 वर्ष है। 

मनोनीत सदस्य- लोकसभा में राष्ट्रपति आंग्ल समुदाय के 2 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं, वहीं राज्यसभा में राष्ट्रपति 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं, जो कि खेल, कला, शिक्षा, समाजसेवा आदि क्षेत्रों से संबंधित हो सकते हैं।  

धन विधेयक का अधिकार- ये बिल केवल लोकसभा में पेश किया जाता है, राज्यसभा में नहीं। 

अध्यक्षता और अधिकार- लोकसभा की अध्यक्षता लोकसभा स्पीकर करता है, वहीं राज्यसभा की अध्यक्षता उप-राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 

वहीं यदि अधिकार की बात की जाए, तो संसद में सामान्य विधेयक पारित करना, उस पर चर्चा करना, राष्ट्रपति चुनने का अधिकार और उनके खिलाफ अभियोग का समान अधिकार राज्यसभा और लोकसभा को  होता है। 

वहीं यदि हम विशेष अधिकारों की बात करें तो लोकसभा द्वारा लाए गए विधेयक पर आपत्ति या विरोध का अधिकार राज्यसभा को नहीं होता है। वहीं राज्यसभा सिर्फ बजट पर चर्चा कर सकती है उसे मत का अधिकार नहीं है। 

वहीं यदि राज्यसभा के विशेष अधिकारों की बात करें तो अनुच्छेद 249 के अनुसार राज्यसभा संसद को कानून बनाने के लिए अधीन कर सकती है लेकिन लोकसभा को ये अधिकार नहीं है, वहीं अनुच्छेद 312 के अनुसार रोजगार का सृजन भी कर सकती है।