क्या B.Ed वाले स्टूडेंट्स अब नहीं बन सकेंगे प्राइमरी टीचर? जानिए- क्या है पूरा मामला….

अभी तक ये था कि सभी B.Ed स्टूडेंट्स प्राइमरी, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी शिक्षक पद के लिए आवेदन करते आ रहे थे, जिससे कहीं ना कहीं D.EI.ED करने वाले छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा था, तो अब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ये फैसला किया है की अब सिर्फ डीएलएड करने वाले स्टूडेंट्स ही 5 वीं कक्षा को पढ़ाने के हकदार हैं, ये फैसला बीएड स्टूडेंट्स के लिए एक नुकसान माना जा रहा है। 

क्या था मामला?

UPTET-2021 इसी वर्ष जनवरी में परीक्षा करवाई गई थी, जिसका रिजल्ट अप्रेल में घोषित किया गया था लेकिन मामला शीर्ष कोर्ट में था मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने 6.6 लाख यूपीटीआई प्रमाण का रास्ता साफ कर दिया है, जिन्हें फैसला अदालत में होने की वजह से पहले रोक दिया गया था। 

क्यों लगाई थी रोक?

UPTET की परीक्षा में 660592 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिनमें से 114790 प्राथमिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी बीएड डिग्री वाले थे बाकी 4.5 लाख डीएलएड  वाले थे, परीक्षा नियामक के अनुसार 2.20 लाख अभ्यर्थी बीएड वाले और 2.23 लाख डीएलएड वाले अभ्यर्थी सफल हुए। 

इसी रिजल्ट के बाद डीएलएड वाले अभ्यर्थियों ने बीएड अभ्यर्थियों  को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने पर रोक की मांग की थी, जिसके बाद इन सभी के प्रमाण पत्र रोक दिए गए थे और इसके ही फैसले में राजस्थान सरकार ने इसे सही बताया है। हालांकि, परीक्षा करवाने वाले संस्थान ने कहा है कि वो ये प्रमाण पत्र सबको जारी करेगी। यूपीटीआई प्रमाण शिक्षा के क्षेत्र में जारी किये जाते हैं और ये दो साल तक वैध होते हैं, इसके आधार पर कोई भी शिक्षक स्कूल मे पढ़ा सकता है।