जलमीनार पर खतरा: बिहार सरकार के जल नल योजना के तहत अर्धनिर्मित जलमीनार के बगल में हो रहा रिसाव

मंझौल(बेगूसराय) : मंझौल अनुमंडल क्षेत्र में बूढ़ी गंडक नदी में लगातार जलस्तर में वृद्धि जारी है। जुलाई महीने के अंत मे उफानाती नदी से कई गांवों में तटबन्ध पर दबाब और रिसाव को देख लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। बूढ़ी गंडक नदी बीते कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए ललायित दिख रही है। गुरुवार को सिवरी मीटर गेज में जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई । हालांकि इन सभी चीजों के बीच बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों का दावा है कि स्थिति कंट्रोल में है।

बताते चलें कि अनुमंडल मुख्यालय के पबरा गांव में मंगलवार से ही तटबन्ध से रिसाव जारी है। फ्लड फाईटिंग के दौरान रिसाव पर काबू पा लिया जाता है। लेकिन कुछ घण्टों के अंतराल में अगल बगल फिर से रिसाव शुरू हो जाता है। बुधवार की देर रात हुई जोरदार बारिश में कुछ घण्टों का काम बाधित क्या हुआ , गुरुवार सुबह बांध के नए जगहों से रिसाव शुरू हो गया। तब वहाँ पर सिर्फ ग्रामीण और दैनिक जागरण की टीम थी । जेई सन्तोष कुमार ने बताया कि स्थिति पूर्णतः कंट्रोल में है। ग्रामीणों और स्थानीय प्रतिनिधियों का सहयोग मिलेगा तो हमलोग बाढ़ को लेकर उत्तपन्न परिस्थितियों में हर खतरे को टाल सकते हैं। लेकिन दो दिनों से गाँव के जनप्रतिनिधियों से अपेक्षित सहयोग की कमी है।

जलमीनार तो नहीं है रिसाव का कारण पबरा गांव में तटबन्ध में जहां रिसाव हो रही है इससे पहले बीते साल तक नदी में पानी बढ़ने पर आजतक कभी कोई समस्या नहीं हुई। फिलवक्त ठीक उसी बगल में एक निर्माणाधीन जलमीनार है। उसके निर्माण के क्रम में पीलर बहुत गहराई तक जमीन में है। अब जब नदी में जलस्तर बढ़ा तो पानी का लगातार रिसाव हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार यह जलमीनार दो साल से निर्माण होना प्रारम्भ हुआ था। लेकिन आधिकारिक उदासीनता के वजह से आजतक निर्माण नहीं हो पाया है। अब जब रिसाव शुरू हुआ तो उक्त जलमीनार के अस्तित्व पर बन आया है। बड़ा सवाल यह है कि जलमीनार के निर्माण में तटबन्ध की सुरक्षा का ख्याल क्यों नहीं किया गया।