KharifTraining

चेरियाबरियारपुर में खरीफ प्रशिक्षण शिविर आयोजित, किसानों को दी गई नई तकनीकों की जानकारी

बेगूसराय : कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के तत्वावधान में मंगलवार को चेरियाबरियारपुर प्रखंड स्थित ई-किसान भवन में प्रखंड स्तरीय खरीफ (शारदीय) प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने मिलकर किसानों को खरीफ फसलों के आधुनिक प्रबंधन, जैविक खेती और सरकारी योजनाओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।

दीप प्रज्वलन से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम का उद्घाटन अनुमंडल कृषि पदाधिकारी गौरव शर्मा, प्रखंड बीस सूत्री अध्यक्ष मो. जियाउल्लाह, प्रशिक्षु बीएओ साक्षी कुमारी, मुखिया रमेश कुमार सिंह और प्रगतिशील किसान बिमलेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।मिट्टी जांच और हेल्थ कार्ड से बढ़ेगा उत्पादन

अनुमंडल कृषि पदाधिकारी गौरव शर्मा ने मिट्टी जांच और हेल्थ कार्ड आधारित खेती को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि “मिट्टी जांच से किसान अपनी लागत कम कर सकते हैं और उत्पादन बढ़ा सकते हैं। हेल्थ कार्ड के अनुसार खाद और पानी देने से फसल की गुणवत्ता भी सुधरती है।”

कीट प्रबंधन और फसल चक्र पर भी हुई चर्चा

उन्होंने बताया कि खरीफ फसलों में सही समय पर पहला और दूसरा पानी, खाद प्रबंधन और कीट नियंत्रण अत्यंत जरूरी हैं। इससे फसल की रक्षा के साथ बेहतर उपज मिलती है।

किसान कार्ड और सरकारी योजनाओं पर ज़ोर

प्रशिक्षु बीएओ साक्षी कुमारी ने किसानों से किसान कार्ड बनवाने की अपील की और बताया कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे अनुदान, बीमा और फसल सहायता योजना का लाभ कैसे लिया जा सकता है।

जैविक खेती और मोटे अनाज को अपनाएं: प्रगतिशील किसान

प्रगतिशील किसान राम कुमार सिंह ने कहा कि जैविक खेती और मोटे अनाज (जैसे ज्वार, बाजरा, रागी) की खेती से स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है और बाज़ार में भी इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।

बागवानी फसलों पर सब्सिडी: उद्यान पदाधिकारी

प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अमृत किशोर राय ने किसानों को बताया कि केला, आम, हल्दी, ओल और नारियल जैसी बागवानी फसलों पर सरकार सब्सिडी देती है। उन्होंने किसानों से आवेदन करने की अपील की।खरीफ फसलों की विस्तृत जानकारी

कृषि समन्वयक मनीष कुमार ने बताया कि खरीफ मौसम की फसलों को शारदीय फसल भी कहा जाता है। उन्होंने उत्तम किस्म के धान और मक्का की जानकारी दी और किसानों को प्रमाणित बीज अपनाने की सलाह दी।

कुछ वरिष्ठ अधिकारी रहे नदारद

कार्यक्रम में जहां कई महत्वपूर्ण कृषि अधिकारी और प्रतिनिधि मौजूद थे, वहीं जिला द्वारा नामित सहायक निर्देशक शल्य रामकृष्ण, सहायक निदेशक (पौधा संरक्षण) रीमा कुमारी, और कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के कोई भी प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे, जो किसानों के लिए एक निराशाजनक बात रही।

कृषि से जुड़े अपडेट के लिए जुड़े रहें TheBegusarai के साथ!

अगर आप भी चाहते हैं खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं, तकनीकों और सब्सिडी की जानकारी सबसे पहले — तो फॉलो करें TheBegusarai और शेयर करें यह जानकारी अपने किसान भाइयों के साथ।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now