जगन्नाथ रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट: कहा इजाजत दी तो माफ नहीं करेंगे भगवान

डेस्क: करोना काल से निपटने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का नियम बनाया गया है और यही वजह है कि बहुत सारे काम को सोशल डिस्टेंसिंग को मद्देनजर रखते हुए करने का फैसला सरकार ने किया है। इस कोरोना महामारी से अभी तक पूरे देश में मरीजों की संख्या 3 लाख से अधिक हो गई है और कोरोनावायरस कारण बहुत सारे काम को वह पहले ही रोक दिया गया था। अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को पूरी (ओडिसा) के जगन्नाथ मंदिर में होने वाली वार्षिक रथयात्रा पर भी रोक लगा दी गई है जिसके चलते बहुत सारे भक्तों को निराशा झेलनी पड़ रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर हमने इस साल रथयात्रा निकालने की अनुमति दी तो भगवान जगन्नाथ हमें कभी माफ नहीं करेंगे। जब महामारी फैली हो तो ऐसी यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती है जिसमें भारी संख्या में लोग इकट्ठा हो और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ जाए।लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए इस साल इस यात्रा की अनुमति नहीं मिलेगी।

सारी अटकलों पर लगा विराम चीफ जस्टिस की बेंच ने ओडिशा सरकार से कहा है कि इस साल राज्य में रथयात्रा से जुड़े जुलूस या कार्यक्रमों को अनुमति न दी जाए, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सारी अटकलों पर भी विराम लग गया है हालांकि, इस रथयात्रा की तैयारी 2 महीने पहले से ही चल रही थी।

285 साल में दूसरी बार रोकी गई रथ यात्रा 285 साल में यह दूसरा मौका है जब रथ यात्रा रोकी गई है। पहली बार यह रथयात्रा मुगलों के दौर में रोकी गई थी वहीं, इस बार यात्रा कोरोना काल की वजह से रोकी गई है।सुप्रीम कोर्ट में भुवनेश्वर के एक एनजीओ ओडिशा विकास परिषद ने पिटीशन दायर किया था इसमें कहा गया कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा हालांकि मंदिर समिति ने यात्रा को बिना श्रद्धालुओं के निकालने का फैसला किया था और इसके कारण रथ बनाने का काम भी तेजी से किया जा रहा था। मंदिर समिति ने लोगों के बजाए इस बार रथ खींचने के लिए कई सारे विकल्प पुलिसकर्मियों के सामने रखे थे जैसे मशीन या हाथियों से रथ को गुंडिचा मंदिर तक ले जाने पर विचार किया जा रहा था।