WHO ने कहा-अब कोरोना के साथ जीना सीख लीजिए, युवाओं में भी मौत का खतरा

डेस्क : WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के प्रमुख टेड्राॅस अडहाॅनम गीब्रीएसुस ने कहा है कि दुनिया को अब कोरोनावायरस के साथ जीना सीखना होगा. कोविड-19 वैक्सीन बनने में अभी वक्त लगने वाला है तब तक दुनिया को इसके साथ सीख जीना सीख लेना चाहिए. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर युवा यह समझ रहे हैं कि उन्हें वायरस से खतरा नहीं है तो ऐसा गलत है युवाओं को न सिर्फ संक्रमण से मौत हो सकती है बल्कि ये कई कमजोर वर्ग तक फैलाने काम ही कर रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान WHO के प्रमुख ने कहा कि हम सभी को इस वायरस के साथ रहना सीखना होगा, और हमें अपने और दूसरों के जीवन की सुरक्षा करते हुए जिंदगी जीने के लिए जरूरी एहतियात अपनाने की जरूरत है. उन्होंने कई देशों में फिर से जारी की गई पाबंदियों की प्रशंसा भी की है. इन्होंने सऊदी अरब के लगाए पाबंदियों का जिक्र किया और सऊदी सरकार के कदमों की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के कड़े कदम उठाकर सरकार ने उदाहरण पेश किया है कि आज के दौर की बदली हकीकत के साथ तालमेल बैठाने के लिए वह क्या क्या कर सकते हैं.

युवाओं को भी है खतरा टेड्राॅस ने कहा कि कोरोना वायरस से युवाओं को भी खतरा कम नहीं है लेकिन कई देशों में युवा इससे मजाक समझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम पहले भी चेतावनी दे चुके हैं और फिर कह रहे हैं युवा भी कोरोना के कहर से अछूते नहीं है वह भी जोखिम में है, युवा भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं, वह भी मर सकते हैं और दूसरों में भी संक्रमण फैला सकते हैं, इसलिए उन्हें अपनी सुरक्षा के उपाय करने चाहिए. उन्होंने दुनिया भर के लोगों को मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की सख्ती से पालन करने की भी चेतावनी दिया. WHO ने अमेरिका, ब्राजील, भारत,साउथ अफ्रीका और कोलंबिया में बिगड़ते हालातों के प्रति चिंता जाहिर की है.

वैक्सिंग आने में लग सकता है एक साल कंपनी के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी पास्कल सोरियो ने कहा कि इस वायरस का व्यवहार बेहद अप्रत्याशित है ऐसे में इससे बचने के लिए वैक्सीन की एक रोज काफी होगी या नहीं यह कहा नहीं जा सकता. कंपनी ने बताया कि हमें उम्मीद है कि वैक्सिंन कम से कम 12 महीनों तक प्रभावि रहेगी।हालांकि, कि यह 2 साल या फिर उससे अधिक वक्त के लिए भी प्रभावी हो सकती है कंपनी ने कहा कि अगर इसका असर केवल 1 साल तक के लिए रहा तो फ्लू वैक्सीन की तरह सलाना तौर पर इसका डोज दिया जाना जरूरी हो जाएगा।ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बनाए वैक्सिंग कितनी कारगर होगी या नहीं इसके बारे में हमें अगले साल में ही पता चलेगा। बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी एस्ट्रेजनेका पहले ही इस वैक्सीन की सप्लाई के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के इंनक्लूसिव वैक्सीन अलायंस के साथ करार कर चुकी है। कंपनी को उम्मीद है कि अगर योजना के अनुरूप काम हुआ तो वह साल के आखिरी तक इस वैक्सीन की सप्लाई शुरू कर देगी।