जब आतंकियों ने भारतीय विमान को किया था हाइजैक, पायलट ने ऐसे बचाई थी 66 यात्रियों की जान,

देश में आपातकाल के बीच आज के ही दिन 10 सितंबर 1976 और जगह- दिल्ली का पालम एयरपोर्ट. 66 यात्रियों के साथ इंडियन एयरलाइन के बोइंग 737 ने पालम एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी. विमान को उड़ाने की कमान कमांडर बीएन रेड्डी और को-पायलट आरएस यादव के हाथों में दी गई थी. इस विमान को जयपुर और औरंगाबाद के रास्ते होते हुए मुंबई पहुंचना था.

सब कुछ सही चल रहा था और समय से यात्रियों को मुंबई तक पहुंचाने की योजना थी. विमान ने करीब 56 किलोमीटर का सफर तय ही किया ही था कि अचानक कॉकपिट में दो आतंकी आ घुसे. पायलट यादव की कनपट पर बंदूक लगाकर धमकी देने लगे. कहा-हाथ ऊपर करो, हम लोगो ने इस प्लेन को हाईजैक कर लिया है.

हिलना मत नहीं तो मार दिए जाओगे. इस विमान को लीबिया लेकर चलो. इस बीच दूसरा आतंकी हैंड ग्रेनेड लेकर यात्रियों की तरफ दिखाकर कहता है कि किसी ने थोडी भी चालाकी की तो मार दिए जाओगे. अचानक हुई इस घटना के चलते पायलट को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. इसी दौरान पालयट ने आतंकियों से बचने का प्लान सोचा.मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, आतंकी कश्मीर के मामले में दुनिया का ध्यान खींचने के लिए विमान को हाइजैक किया था.

पायलट की सूझबूझ से बच गई 66 यात्रियों की जान विमान को लीबिया ले जाने की बात को सुनकर पायलट ने आतंकी से इतनी दूरी तय करने के लिए पर्याप्त ईधन न होने की बात कही. ऐसा कहने के बाद विमान को पाकिस्तान के लाहौर में उतार दिया गया. इतना ही नहीं, पायलट ने लाहौर में मैप्स और नेविगेशन सिस्टम न होने की बात कही.

इसी बीच पायलट ने आतंकी से बचते हुए पाकिस्तान के अधिकारियों से सम्पर्क किया. वही पाकिस्तानी अधिकारियों ने आतंकियों के लिए जो खाना भिजवाया उसमें बेहोशी की दवा मिली हुई थी. जिसे खाने के बाद आतंकी बेहोश हो गए और सभी की गिरफ्तार कर लिया गया. अगले दिन यानी 11 सितंबर को विमान ने उड़ान भरी और सभी यात्रियों को सुरक्षित लेकर पालम एयरपोर्ट वापस पहुंची.

आपातकाल के दौर की यह घटना दो देशों के सम्बंधों की मिसाल बनी जिस दौर में यह घटना हुई वो आपातकाल का दौर चल रहा था, लेकिन इस रेस्क्यू ऑपरेशन में भारत और पाकिस्तान की सरकार के तालमेल की मिसाल दी जाती है. उस दौर में पाकिस्तान के अधिकारियों के सहयोग से आतंकियों के मंसूबे पर पायलट ने पानी फेर दिया था.

उस दौर में यह घटना काफी चर्चा में बनी थी. इतिहास में प्लेन हाइजैकिंग की यह कोई पहली घटना नहीं है, इसके बाद भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई, लेकिन आपातकाल के दौर में हुई इस घटना को लेकर जिस तरह भारतीयों यात्रियों में डर था, वैसा कुछ भी गलत नहीं हुआ था. पायलट की समझदारी विमान और यात्रियों को लाहौर से सुरक्षित निकाला गया और उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया. दुनियाभर में यह घटना काफी चर्चा का विषय रही थी.