Indo-Nepal Border Road : भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता माना जाता है। सीमा से सटे इलाकों में दोनों देश व्यापारिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे के लिए मददगार साबित होते हैं। भारत नेपाल सीमा सड़क निर्माण कार्य इस साल के अंत तक पूरा होने की संभावना है। इस सड़क का 90 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। यह सड़क साल 2013 से बन रही थी, लेकिन इसके काम ने साल 2023 में रफ्तार पकड़ी और इस सड़क का करीब 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
मालूम हो कि बिहार और नेपाल करीब 729 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं, जिसमें से 552 किलोमीटर सीमा सड़क से कवर किया जा रहा है। इसके निर्माण से आवागमन के साधन सुगम होंगे। वहीं, उत्तराखंड, यूपी और बिहार में 1,372 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है।
यह सड़क राज्य के सात जिलों से गुजर रही है, जिसकी लंबाई 552 किलोमीटर है। इसमें 121 पुल-पुलिया का निर्माण होना था, जिसमें से 119 का निर्माण पूरा हो चुका है। निर्माणाधीन 2 पुल अंतिम चरण में हैं। बिहार में यह पश्चिमी चंपारण के मदनपुर से शुरू होकर रक्सौल, बैरगनिया, सुप्पी, सोनबरसा, परिहार, सुरसंड से जयनगर, सुपौल के बीरपुर, अररिया के सिकटी से किशनगंज के गलगलिया तक जाएगी।
यह है कुल लागत
इसका निर्माण 2,300 करोड़ की लागत से किया जा रहा है, जिसमें से अब तक 1,300 करोड़ खर्च हो चुके हैं। इतना ही नहीं इसके निर्माण से सीमा से तस्करी पर लगाम लगेगी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय अपराध पर भी लगाम लग सकेगी। इस संबंध में पथ निर्माण विभाग सीतामढ़ी के कार्यपालक अभियंता शिवशंकर प्रसाद ने बताया कि भारत-नेपाल सीमा सड़क का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। जिले में इसका काम दिसंबर तक हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा। इसको लेकर काम में तेजी लाने को कहा गया है।