ई-कॉमर्स कंपनियों को बताना होगा कि उनका प्रोडक्ट किस देश का है,नहीं तो हो सकती है कार्रवाई

डेस्क : ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर जो सामान बेचे जाते हैं उन पर यह लिखा होना चाहिए कि वह किस देश का बना है.उसका निर्माता कौन है. इससे खरीदार यह सोचेंगे कि उन्हें किस देश का सामान खरीदना है और किस देश का नहीं. कस्टमर को हर सामान की पूरी जानकारी मिलनी चाहिए. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता की दलील है कि देश में लोग चीन में निर्मित सामानों का बहिष्कार करना चाहते हैं. स्वदेशी वस्तुओं को खरीदना चाहते हैं. लेकिन ई-कॉमर्स कंपनी या देश प्रेम की भावना से प्रेरित इस विचार से आ रही है. याचिकाकर्ता दिव्या सिंह ज्योति जो सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती है उनका कहना है कि देश का हर नागरिक चीनी सामान के बजाय भारत में निर्मित चीजों को अपनाना चाहता है. देश को आर्थिक मजबूती देने के लिए और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने यहां निर्मित चीजों का इस्तेमाल करने की अपील खुद प्रधानमंत्री ने किया है।

लेकिन ऐसा तभी हो सकेगा जब लोग यह जान सकेंगे कि जिस सम्मान को खरीदने जा रहे हैं वह किस देश में बना है? याचिका में सुझाव दिया गया है कि सरकार इस मसले पर नया कानून बना सकती है. अगर वह कानून नहीं बनाना चाहती, तब भी उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 2(9) में बदलाव कर किसी सामान के निर्माता देश की जानकारी लोगों को दी जा सकती है. अभी इस धारा के तहत किसी वस्तु की क्वालिटी, मात्रा, शुद्धता और कीमत जैसी जानकारी पाना लोगों का अधिकार माना गया है।

केंद्र जारी कर चुका है निर्देश इस तरह की मांग करने वाली एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में भी लंबित है, उस याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर बताया कि ई-कॉमर्स कंपनियों को इस बारे में निर्देश जारी किया जा चुका है। 21 जुलाई के बाद से उन्हें हर सामान को बनाने वाले देश की जानकारी लोगो को उपलब्ध कराना होगा। केंद्र ने हाईकोर्ट को यह सुझाव भी दिया था कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों को “मेड इन इंडिया”वस्तुओं का अलग से सेक्शन बनाने के लिए निर्देश दे, ताकि भारतीय उत्पाद खरीदने के इच्छुक लोगों को इससे मदद हो सके। आपको बता दें कि हाल ही मेंDPIIT ने ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर बैठक की थी। इस बैठक में पूरी जानकारी देने पर चर्चा हुई थी। DPIIT चाहता है कि इसे हर हाल में इस महीने के अंत तक लागू कर दिया जाए. अमेजॉन और फ्लिपकार्ट ने इस बदलाव को लेकर बैक-इंड पर तैयारी शुरू कर दी है।