लोगों की इन आदतों से बर्बाद हो गए 45 करोड़ रुपये : अब RBI ने लोगो से की अपील

डेस्क : कोरोना महामारी का असर सिर्फ इंसान को ही नहीं बल्कि उसके नोट पर भी पड़ा है। लोग अब हर जगह कोरोना से बचने के सभी नियम का पालन कर रहे हैं। लोग हर जगह सैनिटाइज़ेशन का प्रयोग कर रहे हैं ऐसे में जब वह नोट बाहर से लेकर आ रहे हैं तो उसको अच्छे से सैनिटाइज़ कर रहें है। इस सैनिटाइज़ेशन के चलते नोटों का कलर फीका पड़ने लगा है। दुकानदारों और बैंकों की तरफ से शिकायत आई है की वह इस प्रकार के नोट नहीं लेना चाहते हैं, जिनका रंग उड़ गया हो। यहां तक की लोगों ने कोरोना से बचने के नाम पे अपने नोटों को साबुन से धोना शुरू कर दिया है।

बाज़ार विशेषज्ञों का कहना है की जैसे ही बाजार खुलेगा वैसे ही इस प्रकार के नोटों में वृद्धि हो जाएगी। महामारी की वजह से बाजार में नए तरह का संकट आ जाएगा, ऐसे में 45 करोड़ रूपए के नोट खराब हो चुकें हैं। कोरोना की पहली लहर में खराब नोटों की संख्या कम थी। वर्ष 2019-2020 में यह संख्या केवल छह लाख नोट की थी, यह सभी नोट पूरी तरह से बेकार हो गए थे। इस बार फिर ऐसा ही कुछ देखने को मिला है। साल 2020-2021 में 45 करोड़ रूपए के नोट को डिस्पोज़ करना पड़ा है।

इस बार नोटों की संख्या जो बर्बाद हुई है उसमें 200 और 500 के नोट अधिक मात्रा में शामिल हैं। RBI के अधिकारियों का कहना है की लोग इस प्रकार का कार्य बिलकुल भी न करें जिससे नोटों का रंग समाप्त हो जाए। जिन नोटों का रंग उड़ जाता है उनकी कोई कीमत नहीं रहती है। बता दें की नोट में छपे रंग की अपनी एक पहचान होती है। जो लोग पढ़े लिखे नहीं होते हैं वह रंगों की तर्ज पर समझते हैं की कौन सा नोट कितने मूल्य का है। भारतीय नोटों में सिक्योरिटी इंक मौजूद होती है, जिससे सुरक्षा जाँच में आरबीआई और भारत सरकार को काफी सहयोग मिलता है।