Railway में क्‍यों इस्तेमाल होता है 24 घंटे वाली घड़ी? जानें – इसके पीछे क्‍या है कारण?

डेस्क : आपने देखा होगा कि सामान्य घड़ियों में समय 12 बजे तक दिखता है। इसके बाद 1, 2 शुरू होता है। जबकि रेलवे की घड़ी 24 घंटे तक का समय बताती है। ऐसे में रेलवे अलग-अलग टाइम टेबल दिखाता है। ऐसे में लोगों को रेलवे टाइम टेबल या ट्रेन की टाइमिंग समझने में दिक्कत आती है। अब ऐसे में यात्रियों के मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर रेलवे ऐसा टाइम टेबल क्यों प्लान करता है। तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

रेलगाड़ियाँ दिन के 24 घंटे यानि रात-दिन चलती हैं। यदि रेलवे ने 12 घंटे के समय प्रारूप का उपयोग किया होता, तो बहुत भ्रम पैदा हो जाता। दिन और रात का समय बताने के लिए अंकों के आगे AM या PM लिखना पड़ता था।

दिन के 12:00 बजे से पहले दोपहर लिखना होता था और रात के 12:00 बजे से पहले आधी रात (आधी रात) लिखना होता था। समय से पहले इतनी सारी चीजें होने की वजह से एक रेल यात्री कभी न कभी पढ़ने और समझने में दिक्कत पता है।

मानकीकरण में सहायता

24 घंटे का समय प्रारूप न केवल भ्रम से बचाता है बल्कि रेलवे परिचालन में मानकीकरण भी लाता है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में ट्रेनों के सटीक शेड्यूल में मदद मिलती है। समन्वय में भी मदद मिलती है। 24 घंटे का समय प्रारूप कम्प्यूटरीकृत प्रणालियों और स्वचालन को लागू करने में भी सहायक है।

यह समय सारिणी, टिकटिंग प्रणाली, आरक्षण प्रक्रियाओं और अन्य स्वचालित कार्यों के कुशल संचालन में बहुत उपयोगी है क्योंकि इसमें एएम और पीएम शामिल हैं अन्यथा गलत व्याख्या की कोई संभावना नहीं है।

12 घंटे का समय प्रारूप भ्रम उत्पन करता है

12-घंटे का समय प्रारूप बहुत भ्रम पैदा करता है। मान लीजिए किसी की ट्रेन सुबह 04.00 बजे है। सरसरी नजर से उसने रिजर्वेशन टिकट पर 04.00 बजे का समय देखा और सोचा कि ट्रेन तो शाम 04.00 बजे की है।

ऐसे में आपकी कार छूटने की पूरी संभावना है। अब 24 घंटे के फॉर्मेट में 24 घंटे में 4 घड़ियां एक ही समय पर बजती हैं। दूसरी बार 16 का अंक ही चार बजे का संकेत देता है। इस प्रकार किसी संख्या की पुनरावृत्ति न होने से कोई भ्रम नहीं होता।