अगर कोई आपको गाली या धमकी दे रहा है तो घबराएं नहीं! जानिए- अपने ये कानूनी अधिकार…

Rights : आपने अक्सर लोगों को एक दूसरे से लड़ते हुए देखा होगा और लड़ाई के बीच की ने गुस्से में आकर एक दूसरे को गाली देते हुए भी जरूर सुना होगा। लेकिन कई बार गुस्सा ज्यादा हो जाने के कारण या विवाद अधिक बढ़ जाने के कारण लोग मारपीट पर उतर आते हैं और एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाते हैं।

एक दूसरे को जान से मारने की धमकी भी देने लगते हैं और मामला बड़ा गंभीर हो जाता है। अगर आपके साथ भी कभी ऐसी घटना होती है या फिर आपको कोई गाली गलौज लेता है या जान से मारने की धमकी देता है तो आपको घबराने की या उससे लड़ाई झगड़ा करने की जरूरत नहीं है।

ऐसी स्थिति में कानून द्वारा कुछ ऐसे अधिकार बनाए गए हैं जो आपकी सहायता कर सकते हैं। कानून के अनुसार अगर आपको कोई गाली गलौज लेता है या जान से मारने की धमकी देता है तो यह कानून की नजर में एक अपराध माना जाता है। ऐसा करने वाले व्यक्ति के ऊपर पुलिस द्वारा केस भी दर्ज किया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं लड़ाई झगड़े से संबंधित कुछ ऐसे नियम….

अगर आपके साथ भी ऐसी कोई अप्रिय घटना होती है तो आप पुलिस थाने में जाकर CRPC की धारा 154 के तहत मुकदमा या FIR दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के अनुसार कोई व्यक्ति अगर आपसे गाली गलौज करता है तो यह एक अपराध की श्रेणी में आता है और इसे संगीन जुर्म मानकर इसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है।

अगर कोई भी व्यक्ति आपको गाली देता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के अनुसार उसे 3 महीने की कड़ी सजा दी जाती है। लेकिन अधिकतर इस तरह के मामलों में व्यक्ति को जेल नहीं भेजा जाता है बल्कि उससे जुर्माने के तौर पर कुछ राशि ले ली जाती है।

इसके अलावा अगर आपका किसी के साथ विवाद या लड़ाई झगड़ा हो जाता है और सामने वाला व्यक्ति आप को जान से मारने की धमकी देता है तो आप पुलिस थाने में जाकर इसकी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं। ऐसा करने में आपको बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि आपकी जान को खतरा हो सकता है। जान से मारने की धमकी देना भी यह संगीन अपराध की श्रेणी में आ जाता है।

आपको बता दे भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के अनुसार किसी को भी जान से मारने की धमकी देना एक दंडनीय अपराध है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे 7 साल की सजा दी जाती है। ऐसे मामले में रिपोर्ट तैयार करके चीजें मजिस्ट्रेट के पास में ही जाती है। जान से मारने देने पर व्यक्ति को जमाने तो आसानी से मिल जाती है लेकिन इसका मुकदमा लंबे समय तक चलता रहता है।