क्या होता है किसी महंगे प्रोडक्ट के गारंटी और वारंटी के बीच का अंतर, जानिए दो शब्दों में

डेस्क : जब भी हम बाजार से किसी नए महंगे प्रोडक्ट को खरीदते हैं उसके साथ हमें एक समय तक की गारंटी और वारंटी दी जाती है। लोग प्रॉडक्ट लेने के वक्त दुकानदार से इसके बारे में पूछते भी है। ज्यादातर लोग इन्हें एक ही समझते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है। गारंटी और वारंटी में काफी फर्क होता है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे दोनों के बीच का अंतर।

सबसे पहले बात कर लेते हैं गारंटी की तो इसका मतलब होता है कि कंपनी अपने प्रोडक्ट की फॉल्ट की पूरी जिम्मेदारी लेती है। यदि प्रोडक्ट को खरीदे जाने के बाद कोई छोटी मोटी फॉल्ट निकलती है तो कंपनी अपना मैकेनिक भेज कर उसे ठीक करवा देती है लेकिन यदि कोई बड़ा फॉल्ट निकले तो फिर प्रॉडक्ट को वापस करती है।

अब बात कर लेते हैं वारंटी की तू कंपनी किसी भी कीमत पर अपना सामान वापस नहीं करती है कोई छोटा मोटा फॉल्ट हो या बड़ा फॉल्ट हो, वह मैकेनिक को घर भेजकर प्रोडक्ट को सही करवा सकती है या फिर उसके स्पेयेर्स पार्ट को बदल सकती है। चुकी गारंटी देने कंपनी को अधिकतम नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए आजकल ज्यादातर कंपनियां वारंटी देना पसंद करती है।

अगर देखा जाए तो वारंटी में भी नुकसान नहीं है, बस इसे लेने का सही तरीका पता होना चाहिए।इसके लिए सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि जब भी आपको ही महंगा प्रोडक्ट खरीद रहे हैं तो उसका पक्का बिल जरूर ले। साथ ही प्रोडक्ट को खोलकर उसमें रखे गए गारंटी वारंटी कार्ड पर दुकानदार के साइन और मोहर जरूर लगवाएं। यह दोनों काम हो जाने के बाद ही माना जाता है कि सामान को लीगल तरीके से खरीदा गया है और आवश्यक टैक्स को भी चुकाया गया है। इन दोनों कागजातों के बिना सामान के गारंटी वारंटी को लेकर आप कंपनी पर क्लेम नहीं कर सकते हैं।

इसके अलावा जब भी आप नया सामान खरीदने जाएं तो उस पर गारंटी वारंटी की जांच जरूर करें। इस बात का ध्यान रखें कि प्रोडक्ट की गारंटी वारंटी अधिक समय के लिए है या नहीं। जिस सामान की गारंटी वारंटी जितने अधिक समय सीमा तक के लिए होगी, वह प्रोडक्ट उतना ही अच्छा होगा। यदि बीच में उसमें कुछ खराब हो जाता है तो इसके लिए आपको कोई खर्चा देने की जरूरत नहीं है।

यदि सामान गारंटी वारंटी की तय सीमा से पहले खराब हो जाती है और उसके सुधारने में कंपनी के तरफ से कोई लापरवाही या आनाकानी बढ़ती जा रही है तो ऐसे में आप कंज्यूमर फोरम में केस दर्ज करा सकते हैं। यहां आपको किसी वकील की जरूरत नहीं होती है आप एक सादे कागज पर अपनी पूरी बात लिख कर फोरम में जमा करा दें। इसके बाद कंपनी को फोरम के तरफ से नोटिस भेजा जाता है। यदि उसके बाद भी कंपनी कोई रिस्पांस नहीं करती है तोउसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाती है।