इसलिए महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती! महाभारत काल का श्राप आज भी है प्रासंगिक

आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती है ,अक्सर महिलाओं के ग्रुप होते हैं जिनका पूरा मकसद ही एक दूसरे की बातें इधर से उधर करना होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे कुछ पौराणिक कारण भी है।जी हां, इसके पीछे युधिष्ठिर का दिया गया श्राप कारण माना जाता है, महाभारत में कुंती ने घोर तपस्या करके दुर्वासा ऋषि को प्रसन्न किया था तब दुर्वासा ऋषि ने उन्हें वरदान दिया कि वह जिस भी भगवान का आवाहन करेंगी उन्हें उन्हीं के गुण वाला पुत्र प्राप्त होगा।

गलती से उन्होंने सूर्य भगवान का आवाहन कर दिया जिससे उन्हें कर्ण जैसा सूर्यपुत्र कवच कुंडल धारी प्राप्त हुआ। लेकिन समाज और लोक लाज के डर से कुंती ने कर्ण को नदी में बहा दिया। बाद में कुंती का विवाह पांडु से हो गया जिसके बाद उन्हें युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम जैसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और पांडु की दूसरी पत्नी से नकुल और सहदेव। वही महाभारत के युद्ध में कर्ण ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा और जैसा कि विदित है पांडवों की जीत हुई ।

आखिर तक कुंती ने कर्ण के अपने पुत्र होने की बात किसी को नहीं बताई, लेकिन कर्ण की मृत्यु पर एक मां होते हुए वह शोक करने लगी जिससे जब सबको पता चला कि कर्ण कुंती पुत्र थे तब सब आवक रह गए। इस बात पर युधिष्ठिर क्रोधित हो उठे और अपने बड़े भाई को अपने ही हाथों मारे जाने के विचार से द्रवित हो गए और उन्होंने गुस्से में आकर पूरी नारी जात को श्राप दिया कि वह कभी भी अपने पेट में कोई बात नहीं पचा पाएंगी।यही वजह मानी जाती है कि आज भी स्त्रियां कोई बात नहीं छिपा पातीं।