Human Mind: आखिर कितने GB का होता है इंसान का दिमाग? आज जान लीजिए…

इंसानी दिमाग या Human Brain इंसान के अंदरूनी या फिर ह्यूमन एनाटॉमी (Human Anatomy) का एक अभिन्न अंग है जो पूरे शरीर को संयमित करता है हमारा दिमाग काम करने की हमारी क्षमता को बढ़ाता है. हम जितनी दिमागी कसरत करते हैं उतना ही ज्यादा हमारे दिमाग की क्षमता बढ़ती जाती है।इंसानी दिमाग का अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इससे बड़े से बड़ा काम किया जा सकता है.

वहीं यही इंसानी दिमाग आपके लिए खतरे का काम भी कर सकता है यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है कि आप इसे अपने काबू में रख रहे हैं या खुद इसके काबू में आकर काम कर रहे हैं। आज के हमारे इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि इंसानी दिमाग की डाटा स्टोर करने की क्षमता कितनी है।

जब भी हम कोई लैपटॉप या कंप्यूटर या कोई भी टेक्निकल डिवाइस जैसे कि स्मार्टफोन खरीदते हैं तो हम उसकी मेमोरी जरूर चेक करते हैं। रैम (RAM) और रोम (ROM) दो तरह की मेमोरी हमारी सिस्टम में पाई जाती हैं, इसके अनुसार ही इस बात का पता चलता है कि कोई भी सिस्टम कितना डाटा स्टोर कर सकता है।

किसी भी लैपटॉप की स्टोरेज इकाई बिट होती है उसी तरह इंसानी दिमाग की इकाई को बोलते हैं न्यूरॉन्स (neurons) neurons इंसानी दिमाग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो इंफॉर्मेशन के स्टोरेज और प्रोसेसिंग दोनों का काम करते हैं, और क्योंकि यह दोनों काम करते हैं इस वजह से वैज्ञानिकों के लिए यह पता लगा पाना कि इंसानी दिमाग कितने जीबी का है, मुश्किल का काम है।

आपको बता दें कि न्यूरॉन्स 3 तरीके के होते हैं संवेदी न्यूरॉन्स (sensory neurons), मोटर न्यूरॉन्स (Motor Neurons) और रिले न्यूरॉन्स (Relay Neurons) इसका काम मस्तिष्क से सूचना का आदान प्रदान और विश्लेषण करना होता है। वैज्ञानिकों का यह कथन है कि न्यूरॉन्स का निर्माण इंसान के सोचने के हिसाब से होता है।

एक शोध के अनुसार इंसान के दिमाग की मेमोरी को जीबी के बराबर मापने की कोशिश की गई। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि एक न्यूरॉन दूसरे न्यूरॉन से करीबन हजार बार संपर्क करता है जिसका मतलब है की मेमोरी में यह 2.5 पेटा बाइट (PB) के लगभग होता है. इस हिसाब से देखें तो दिमाग की मेमोरी कितनी है यह पता लगा पाना जटिल काम है, हालांकि इसको लेकर कई तरह की रिसर्च हुई है लेकिन अभी तक इसका कोई सटीक आंकड़ा नहीं मिला है।

कहते हैं कि हम जितनी मेहनत करते हैं हमारी मेहनत करने की क्षमता उतनी ही बढ़ती जाती है और यह सिर्फ शारीरिक मेहनत से संबंध नहीं रखता बल्कि इसका संबंध दिमागी मेहनत से भी है।घर के बड़े कहते हैं कि पढ़ाई करो और क्योंकि पढ़ाई में काफी दिमागी मेहनत लगती है इससे हमारे दिमाग का विस्तार होता है और मस्तिष्क की क्षमता और बढ़ती जाती है यह शोध में पाया गया है कि व्यक्ति जितनी मस्तिष्क से मानसिक मेहनत लेता है उसकी क्षमता उतनी ही बढ़ती जाती है।