पिताजी के देहांत के बाद संपत्ति बंटवारे के नियम? जानिए- क्या कहता है नियम..

Division of property among brothers : मौजूदा समय में संपत्ति बंटवारे को लेकर आए दिन मारपीट की घटना सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहती है. यहां तक की भाई-भाई में संपत्ति के लिए मर्डर तक हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं भाइयों के बीच संपत्ति का बंटवारा कैसे किया जाता है?

आमतौर पर संपत्ति बंटवारा को लेकर मारपीट तब होता है जब पिताजी का देहांत हो जाता है. तो चलिए आज के इस आर्टिकल में जानते हैं पिता के देहांत के बाद भाइयों और बहनों के बीच संपत्ति बंटवारे का क्या नियम है?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है की पिताजी के देहांत के बाद ही संपत्ति को लेकर झगड़ा शुरू होता है, लेकिन अगर पिता ने देहांत से पहले ही वसीयत बनाकर तैयार की होती है और संपत्ति का उचित बंटवारा किया है तो झगड़ा की स्थिति ही उत्पन्न नहीं होगी.

क्योंकि वसीयत के तहत पिता या परिवार का मुखिया कानूनी रूप से संपत्ति को अपने बेटे या फिर अन्य किसी को सौंपता है. जिसमें उन लोगों के नाम अंकित होते हैं, जिन्हे संपत्ति का हस्तांतरण किया जाएगा. इसके लिए पिता के द्वारा पेशेवर की मदद ली जाती है. जो कि संपत्ति के बंटवारे में भूमिका निभाता है.

अब दूसरा पहलू को समझ लेते हैं. अगर पिताजी का अचानक देहांत हो जाए और उन्होंने वसीयत न बनाया हो तब क्या होगा? ऐसे में संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार के कानून के तहत किया जाता है. ऐसी स्थिति में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 की कक्षा-1 के उत्तराधिकारियों दिया जाता है. कक्षा-1 में उल्लेखित उत्तराधिकारियों के न होने की स्थिति में अधिनियम में उल्लेखित कक्षा-2 के वारिस को दिए जाने का प्रावधान है.

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