क्या गोद लिए बच्चे को संपत्ति में मिलता है अधिकार? जानिए- क्या नियम…..

Property : यह तो हम सभी जानते हैं कि जैसे ही नन्हे से बच्चे का जन्म होता है, उसका अपने परिवार और उनकी संपत्ति पर पूरा अधिकार हो जाता है। यहां तक कि अपनी पुश्तैनी संपत्ति का बिना कुछ किए हिस्सेदार बन जाता हैं लेकिन जिन बच्चों को गोद लिया जाता है, उन्हें लेकर संपत्ति के मामले में कई सारी कन्फ्यूजन सामने आने लगती है।

हमने अक्सर देखा है कि जो भी लोग बच्चों को गोद लेते हैं उन्हें जल्दी से संपत्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है और माता-पिता की मृत्यु के बाद गोद लिए बच्चों को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है।

इतना ही नहीं बल्कि हमने अक्सर देखा है कि माता-पिता की मृत्यु के बाद गोद लिए गए बच्चों को रिश्तेदार बहुत परेशान करने लगते हैं। उनके साथ अच्छा व्यवहार तक नहीं करते। इस बात को ध्यान रखते हुए भारत सरकार ने गोद लिए गए बच्चों के लिए कुछ नियम बनाए हैं जिन्हें आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

गोद लिए गए बच्चों के संपत्ति में क्या अधिकार होते हैं

यह अधिकार हिंदू, सिख, जैन, बुद्ध इन सभी पर हिंदू धर्मों पर लागू किए गए हैं। इस कानून के अधिकार के अनुसार जो भी बच्चा परिवार में जन्म लेता है उसे बिना कुछ किए अपने पुश्तैनी संपत्ति का हिस्सेदार बना दिया जाता है।

देखा जाए तो फिर वह लड़का हो चाहे लड़की दोनों ही उस संपत्ति के हकदार होते हैं। लेकिन अगर आप कोई बच्चा गोद ले रहे हैं तो लीगली सारे पेपर वर्क करने के बाद वह बच्चा भी आपके संपत्ति का पूरा हकदार बन जाएगा। अगर माता-पिता की मृत्यु से पहले उन्होंने कोई वसीयत नहीं बनाई है तो तो लीगली गोद लिया गया बच्चा भी पुश्तैनी संपत्ति का उतना ही हकदार बन पाएगा, जितना उनके असली बच्चे बन पाएंगे।

क्या अडॉप्टेड चाइल्ड का होता है पुश्तैनी संपति में हक

अडॉप्ट करने के बाद बच्चों ने जिस भी परिवार में जन्म लिया हो उनकी संपत्ति में बच्चे का कोई भी हिस्सा नहीं रहेगा। गोद लिए गए बच्चे को अपने असली माता-पिता से तभी संपत्ति मिल सकती है जब उनके माता-पिता मरने से पहले अपनी कोई वसीयत बनाकर जाए। वसीयत बनाने के बाद माता-पिता ने जो भी संपत्ति कमाई है वह अपने बच्चे के नाम कर सकते हैं।

क्या कहता है पर्सनल लॉ

आपमें से कई लोगों को पता नहीं होगा कि मुस्लिम, इसाई, पारसी लोगों के अपने अलग ही रूल है। यह लोग बच्चों को अडॉप्ट नहीं करते हैं, लेकिन 1890 के तहत वे बच्चों के अभिभावक बन सकते हैं। इस कानून के मुताबिक गोद लिए गए बच्चे को घर में जन्मे बच्चे के बराबर हिस्सेदारी नहीं मिलती है।

यहां तक कि जब तक बच्चा 21 वर्ष का नहीं होता तब तक उसकी पूरी जिम्मेदारी गार्जन लेते हैं। यहां तक कि पुश्तैनी जमीन में बच्चों का कोई अधिकार नहीं होता, लेकिन माता-पिता चाहे तो अपनी वसीयत के जरिए बच्चों को संपत्ति दे सकते हैं।