जब अकबर ने मरवाया था 30 हजार हिन्दुओं को एक साथ, फिर सलीम चिश्ती से मुलाकात कर….

Akabar : जब जलालुद्दीन चित्तौड़ के किले की गहरा बंदी कर चुका था और युद्ध के लिए तैयार था तब चित्तौड़ किले में बैठे उदयभान भी चिंतित थे क्योंकि वह जानते थे कि उन्हें युद्ध नहीं करना है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये युद्ध मुगलिया फ़ौज और चित्तौड़ के बीच नहीं बल्कि जलालुद्दीन और उदयभान के बीच होने वाला है। इसलिए राणा उदय होने के लिए के अंदर रहना ही समझदारी मनी।

जलालुद्दीन को जानकारी नहीं थी कि चित्तौड़ का किला इतना मजबूत है और मुगलिया फौज में तोप होने के बाद भी वह किले की दीवारों को भेद नहीं पाई थी। इसलिए जलालुद्दीन के पास केवल एक ही उपाय बचा था या तो वह वापस लौट जाए या फिर कुछ समय और रुक कर इंतजार करें। अकबर ने घेराबंदी का फैसला लिया। 20 अक्टूबर 1567 को मुगलिया सेना ने चित्तौड़ की घेराबंदी कर ली।

सब्र देने लगा जवाब

एक तरफ जलालुद्दीन का गुस्सा सातवें आसमान पर था तो दूसरी तरफ मुगलिया फ़ौज सर्दी से परेशान थी। एक तरफ सेना के साथ आई रसद सामग्री भी खत्म हो चुकी थी लेकिन किले की घेराबंदी का मकसद जो था वह अभी तक पूरा नहीं हो पा रहा था। 5 महीने तक की लंबी घेराबंदी अकबर ने जानबूझकर की थी। वह सोचता था कि किले के अंदर की सामग्री खत्म होगी तो राणा अपने आप ही हथियार डाल देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

टूटा तारा बना उम्मीद

23 फरवरी 1568 को जलालुद्दीन गुस्से में तंबू के बाहर घूम रहा था। हाथ में बंदूक थी। जलालुद्दीन टहलते हुए किले की दीवार के पास गया, तभी उसे चित्तौड़ का सेनापति जयमाल दिख गया। अकबर ने तो आधी बंदूक उठाकर एक गोली में मार गिराया और ऐसा कहते हैं कि तोड़ते हुए तारे की रोशनी में जयमल का चेहरा जलालुद्दीन को नजर आया। हाल ही में प्रसारित वेब सीरीज ‘ताज : डिवाइडेड बाइ ब्लड’ में भी ये सीन दिखाया गया है।

30000 मासूमों का बहा खून

5 महीने से मुगलिया फौजी परेशान हो चुकी थी लेकिन अकबर ने जयमल को मारकर फ़ौज में जोश भर दिया। दूसरी तरफ राजपूती सेना अपने सेनापति की मौत से गुस्सा हो गई और अकबर की सेना पर टूट पड़ी। लेकिन कुछ ही देर में अकबर की सेना किले के अंदर प्रवेश कर दी और जो रास्ते में आता उसे मार देती। इस तरह 30,000 निर्दोषों का कत्ल किया गया। उन्होंने औरतों और बच्चों को भी नहीं बख्शा। जो औरतें बच गई वह जौहर की आग में कूद गई।

चिश्ती की सीख ने बनाया अकबर

ऐसा बताया जाता है कि चित्तौड़ किले की जीत के बाद 3 दिन तक पर वहीं रुक और वापस लौटते समय फतेहपुर सीकरी में सूफी संत शेख सलीम चिश्ती से उसकी मुलाकात हुई। वह हिंदुस्तान का शहंशाह होने के बाद भी अब तक आप नहीं बन पाया था और उसकी तीन शादियां होने के बाद भी कोई बच्चा नहीं था।

इसके बाद वह चिश्ती के पास पहुंचा तो चिश्ती ने अकबर को बहुत डाटा और कहा कि तूने हजारों माओं की गोद से सूनी कर दी और तो बच्चा मांगने आया है। चिश्ती ने ही सीख दी कि अपनी रियाया को ही अपनी औलाद समझो। तो तुम्हारा ये सपना भी पूरा हो जाएगा.l इसके बाद अकबर ने युद्ध तो लड़े, लेकिन निर्दोषों का खून बहाने से बचा। उसने हिंदू और मुस्लिमों को साथ लेकर शासन किया। उसके शासन में खुशहाल जनता ने ही जलालुद्दीन को अकबर उपमान से नवाजा। अरबी भाषा में अकबर का अर्थ महान होता है।