Meter : आज लगभग देश के सभी घरों में बिजली पहुंच गई है और बिजली के बिल की कैलकुलेशन मीटर में आई रीडिंग के हिसाब से की जाती है। जब बिजली की खोज हुई थी तब मीटर नहीं हुआ करते थे लेकिन अब समय के साथ काफी बदलाव हो चुके हैं और दुनिया टेक्नोलॉजी में काफी आगे पहुंच चुकी है।
अब बिजली कनेक्शन लेने पर बिजली बोर्ड की तरफ से आपके घर पर मीटर लगाया जाता है। लेकिन अब तकनीक काफी बदल चुकी है और घरों में पुराने मीटर को हटाकर नए स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके है। क्या आपको स्मार्ट मीटर और पुराने बिजली के मीटर में अंतर पता है? आइये जानते है इनके बारे में….
क्यों लगाया जाता है मीटर
लगातार महंगाई की दर बढ़ रही है और इसीलिए बिजली की खपत का पता करने और उस हिसाब से बिजली बिल देने के लिए मीटर लगाया जाता है। बिजली विभाग द्वारा लगाए गए इस मीटर की मदद से आप पता लगा सकते हैं कि एक महीने में अपने कितनी बिजली का उपभोग किया है। ये देखकर लोग बिजली का इस्तेमाल कम कर देते है।
पुराने मीटर में क्या था?
- पुराने समय के बिजली मीटर में काफी परेशानी होती थी और लोग इसमें छेड़छाड़ करके इसे बंद भी कर सकते थे।
- पहले 100 यूनिट बिजली जलाने पर भी 10 यूनिट बिजली का इस्तेमाल ही दिखाई देता था।
- इसलिए बिजली कंपनियों को नुकसान होने लगा और उन्होंने पुराने मीटर हटवा कर नए मीटर लगाना शुरू कर दिए।
- कई लोग पुराने मीटर में सर्किट लगा देते है जिससे बिजली कंपनी को हर महीने 3 से 6 लाख की चोरी होने से काफी नुकसान होता था।
- इस चोरी का असर ईमानदारी से बिल भरने वाले लोगों पर पड़ने लगा था।
स्मार्ट मीटर की क्या है खासियत :
- स्मार्ट मीटर लगा देने के बाद आपको बिजली फोन से इसमें रिचार्ज करना होगा।
- स्मार्ट मीटर में बिना रिचार्ज किए आप बिजली का इस्तेमाल नहीं कर सकते है।
- आप जिस रिचार्ज प्लान को एक्टिव करते है उसी के हिसाब से आप बिजली का उपभोग कर पाएंगे।
- स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को पहले ही पता चल जाता है कि उन्हें कितनी बिजली का इस्तेमाल करना होता है।
- स्मार्ट मीटर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर आप किसी काम से बाहर जा रहे हैं तो आपको बिजली बिल का एक भी रुपया नहीं देना होता है।
- इसके अलावा स्मार्ट मीटर लगाने के और भी कई फायदे हैं, जैसे कि कोई भी व्यक्ति आसानी से बिजली चोरी नहीं कर सकता है। इसलिए सभी लोग इमानदारी से बिल भरेंगे।