बजट पेश होने के बाद इतना सस्ता हो गया सरसो तेल, जानें नया भाव

खाद्य तेलों में एक बार फिर गिरावट देखने को मिल रही है। सूरजमुखी के तेल के रिकॉर्ड आयात से दिल्ली के तेल बाजार में गुरुवार को सभी देसी तेल तिल के भाव में भारी गिरावट आई। खाद्य तेल की कीमतों में एक बार फिर खाद्य तेल में गिरावट देखने को मिल रही है। सूरजमुखी के तेल के रिकॉर्ड आयात से दिल्ली के तेल बाजार में गुरुवार को सभी देसी तेल तिल के भाव में भारी गिरावट आई।

खाद्य तेल की कीमतों में इस गिरावट से बाजार में सरसों की खपत मुश्किल हो गई है। जनवरी में, शुल्क मुक्त आयात कोटा प्रणाली के तहत सूरजमुखी तेल का अधिकतम आयात लगभग 472,000 टन तक पहुंच गया, जबकि देश में औसत मासिक खपत 150,000 टन के बीच थी। यानी जरूरत से 200 फीसदी ज्यादा सूरजमुखी तेल का आयात किया गया है।

इसी तरह जनवरी में सोयाबीन तेल का आयात बढ़कर करीब 400,000 टन हो गया। इन सस्ते आयात से ज्यादा कीमत पर सरसों कौन खरीदेगा? बाजार की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर होने के बजाय हम पूरी तरह से आयात पर निर्भर होते जा रहे हैं।’

खुदरा तेल कंपनियां अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) बढ़ाकर उपभोक्ताओं को तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ देने से इनकार कर रही हैं। यदि सरकार तेल उत्पादकों के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) को नियमित रूप से सरकारी पोर्टल पर प्रकाशित करना अनिवार्य कर दे, तो समस्या अपने आप दूर होने लगेगी।

देशी तिलहनों का प्रयोग न करने के जोखिम को देखते हुए पशु आहार और कुक्कुट आहार में प्रयोग होने वाली खली और तेल रहित खली (DOC) की कमी हो सकती है। खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट का आलम यह है कि सूरजमुखी के बीज लंबे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिक रहे हैं और अब सरसों को भी खतरा हो सकता है।