क्या कमजोर हो रही है चीन की अर्थव्यवस्था? नए आंकड़े से टेंशन में चीन, इकोनॉमी में आ सकती है बड़ी गिरावट

Economy of China पूरी दुनिया मंदी की आशंकाओं (Global Economic Slowdown) से लबालब भरा हुआ है। इससे संबंधित हर दिन कुछ ना कुछ रिपोर्ट सामने आ रहे हैं जिसमें ना जाने कितने कारण गिनाए जा रहे हैं। हालांकि मंदी (Economic Slowdown) के काले बादल पूरी दुनिया पर छाया भी में हैं और इसके आसार भी दिख रहे हैं।

दुनिया के मजबूत अर्थव्यवस्थाओं (Large Economy of World) में शुमार चीन (China) की भी हालत ठीक नहीं लग रही है। पिछले कुछ समय से चीन की इकोनॉमी (Economy of China) भी ठीक नहीं चल रही है। और वहां के हालात सुधरने के कोई आसार भी नहीं दिख रहे हैं। सिचुएशन दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहा है।

जून महीने के कंजूमर इन्फ्लेशन (Consumer Inflation) और सालाना प्रोड्यूसर प्राइसेज डाटा (Annual Producer Prices Data) से भी कुछ ऐसा ही संकेत मिल रहा है। इन दोनों से संबंधित डाटा कल यानी कि सोमवार को जारी किया गया था।

इस आंकड़े के अनुसार जून माह में कंज्यूमर इन्फ्लेशन (Consumer Inflation) जीरो के आसपास भटकता रहा तो वही सालाना प्रोड्यूस प्रोड्यूसर प्राइसेज (Annual Producer Prices) में भी अनुमान से भी ज्यादा कमी देखने को मिली। इससे चीन के इकोनॉमी में डिफ्लेशन (Deflation in China Economy) का खतरा बढ़ गया है।

अलग-अलग फर्म ने इसमें बढ़ोतरी की आशंका जताई थी लेकिन यह अनुमान के बिल्कुल उलट आंकड़े आए हैं। ब्लूमबर्ग सर्वे ऑफ इकोनॉमिस्ट्स (Bloomberg Survey of Economists) के इंडेक्स के अनुसार इसमें 0.2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (National Bureau of Statistics) ने भी इसमें कुछ बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था। लेकिन किसी भी तरह की बढ़त देखने को नहीं मिली।

इन सबसे इतर, चीन के कोर इन्फ्लेशन (China Core Inflation) में भी गिरावट देखने को मिली है। देश का कोर इन्फ्लेशन (Core Inflation) 0.6% से घटकर 0.4% आ गया है।

प्रोड्यूसर प्राइसेज (Producer Prices) की बात करें तो यह पिछले साल के जून के मुकाबले इस साल के जून में घटकर 5.4 फ़ीसदी पर आ गई है। वही साल दर साल आधार पर मई में इसकी बात करें तो यह 4.6 फीसदी गिरावट दर्ज की थी। इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए अब यह आशंका जोर पकड़ रही है चीन में डिफ्लेशन (Deflation) हो सकती है।

किसी भी देश या राज्य में जब गुड्स और सर्विसेज के दाम में गिरावट होने लगती है उस स्थिति को हम लोग डिफ्लेशन (Deflation) कहते हैं। इस स्थिति में देश की करेंसी का परचेजिंग पावर ज्यादा हो जाता है। साथ ही साथ अर्थव्यवस्था में मनी और क्रेडिट का सप्लाई घट जाता है।