Property Rule : क्या अमान्य शादी से पैदा हुए बच्चों को मिलेगी पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार? जानें – नियम

Property Issue : हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार पैतृक या पुश्तैनी संपत्ति में मालिकाना हक आदमी के बच्चों या बीवी के पास जाता है। अगर किसी आदमी की पुश्तैनी संपत्ति है तो वह उसके बाद उसके बच्चों, बीवी या बेटी को ही मिलेगी।

लेकिन कई बार ऐसा होता है कि किसी आदमी की अमान्य शादी या अमान्य करार से पैदा हुए बच्चे भी पुश्तैनी या पैतृक संपत्ति में जताते हैं। यह सवाल पिछले कई सालों से लोगों के दिमाग में आता रहता है और अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा इस पर फैसला सुनाया जा सकता है। हिंदू उत्तराधिकार के अंतर्गत आने वाले इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच केस सुनेगी।

सुप्रीम कोर्ट के सामने आए दो विचार

चीफ जस्टिस की बेंच के सामने इस मामले में दो विचार आए हैं। इनमें से पहला हिंदू मैरिज एक्ट लाभकारी कानून है। पहले अमान्य शादी से पैदा हुए बच्चों को नाजायज माना जाता था लेकिन अब कानून द्वारा उन्हें वैध सामाजिक स्थिति प्रदान की जाती है। हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार यदि कोई बच्चा अमान्य शादी के बाद या अमान्य करार दी गई शादी के बाद पैदा होता है तो उसे नाजायज नहीं माना जाएगा। अमान्य शादी नाजायज है, लेकिन इससे पैदा हुए बच्चे नाजायज नहीं कहलायेंगे। उन्हें पैतृक संपति में पूरा अधिकार दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सामने दूसरा मत ये आया है कि ऐसे बच्चे नाजायज नहीं है। इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें पैतृक संपति में भी लाभ मिलेगा। लेकिन उन्हें माता-पिता द्वारा कमाई गई या खरीदी गई संपति में अधिकार दिया जा सकता है। इस तरह के बच्चे दूसरी वैध संतानों के अधिकारों पर हक नहीं जता सकते है। ऐसे बच्चों को पैतृक संपति में अधिकार नहीं मिलना चाहिए और ये ही संतुलित व्यवस्था रहेगी।

दलील सुनने के बाद फैसला

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बताया है कि के दौरान पक्षकारों के वकील ने और भी दलील पेश करने की अनुमति मांगी है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। अब इनकी दलीलों के बाद ही सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला लेगा।