डेस्क : देश में निजीकरण को लेकर तमाम विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार तेजी से इस ओर कदम बढ़ा रही है। वहीं दो सरकारी बैंकों का निजीकरण हो जाएगी। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। सूत्रों की माने तो इस साल के सितंबर महीने तक कई बैंकों को प्राइवेटाइजेशन किया जा सकता है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। देश के दो प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सरकार को भारतीय स्टेट बैंक के अलावा सभी सरकारी बैंकों को निजी हाथों में दे देना चाहिए।
देश के दो बड़े अर्थशास्त्रियों ने सरकार को सलाह दी है कि देश में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों को निजी हाथों में सौंप देना चाहिए। इसमें नीति आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया और आर्थिक विषयों पर सलाह देने वाली परिषद की सदस्य पूनम गुप्ता ने सरकार को यह सुझाव दिया है। इन दोनों अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सरकारी बैंकों का निजी हाथों में जाना सबके लिए बेहतर साबित होगा। बैंकों के प्राइवेट सेक्टर में जाने के बाद आरबीआई पर दवा बनेगा कि वह नियमों और कानूनों को सुव्यवस्थित करें जिससे परिणाम बेहतर निकले।
ncaer.org के रिपोर्ट के मुताबिक इस पॉलिसी पेपर में अंकित किया गया है कि सैद्धांतिक तौर पर एसबीआई सहित सभी सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन होना चाहिए। परंतु सरकार के पास कोई सरकारी बैंक नहीं बचेगा। इसे देखते हुए एसबीआई को छोड़कर बाकी सभी बैंक का प्राइवेटाइजेशन कर देना चाहिए। यदि आने वाले समय में सब ठीक रहा तो एसबीआई का भी निजी करण हो। ऐसे में दोनों ही अर्थशास्त्री प्राइवेटाइजेशन को पुरजोर समर्थन दे रहे हैं।