बनारस के रिज़वान को Lata Mangeshkar मानती थी अपना बेटा, अक्सर पहना करती थी उनके हाथ की बनी साड़ियां

डेस्क : लता मंगेशकर(Lata Mangeshkar) को बनारसी साड़ियां पहनना बहुत अच्छा लगता था, वह अपने पूरे जीवन काल में सिर्फ एक ही बार बनारस गई थी। बता दें कि रिज़वान बनारस के जाने-माने निर्माता और व्यवसाई हैं। दरअसल उनके परिवार का इस परिवार से एक खास रिश्ता बन गया था। लता मंगेशकर रिज़वान और उसके भाई को अपना बच्चा मानती थी। तीज त्यौहार पर हमेशा उनकी बातचीत होती रहती थी।

बता दें कि लता दीदी से अरमान और रिजवान की डायरेक्ट बातचीत नहीं होती थी। दरअसल लता दीदी के व्यक्तिगत सहायक महेश राठौर उनसे बातें किया करते थे। इतना ही नहीं बल्कि लता मंगेशकर के भाई ह्रदय मंगेशकर से भी अरमान और रिजवान लगातार संपर्क में रहते थे। जब लता मंगेशकर को कोई साड़ी पसंद आती थी तो वह उसे देखने के लिए दोनों को मुंबई बुला लेती थी। अरमान और रिजवान साल में तीन चार बार लता मंगेशकर के पास जाते थे और बदले में लता मंगेशकर दोनों को आशीर्वाद दिया करती थी।

ऐसे में लता मंगेशकर की पूरे परिवार के ऊपर स्नेह छाया बनी रहती थी। जब भी अरमान और रिजवान के घर पर कुछ होता था तो उनके लिए लता मंगेशकर गिफ्ट भेजा करती थी। आज के समय में भी उनके मोबाइल में रिजवान के साथ बिताए पल सेव है। अरमान और रिजवान को दिए गए चेक आज तक लैमिनेटेड होकर उनकी दीवारों पर लगे हुए हैं। इतना ही नहीं लता मंगेशकर ने तो अरमान की पत्नी को घड़ी दी थी जिसको उन्होंने आज तक संभाल कर रखा है।

लता मंगेशकर काशी विश्वनाथ जाना चाहती थी लेकिन उनका स्वास्थ्य सही नहीं था जिसके चलते उनका शरीर उनका साथ नहीं देता था। वह बोलती थी कि मुझे व्हीलचेयर पर जाना पसंद नहीं है। अरमान ने बताया कि लता मंगेशकर से उनकी आखिरी बार 1 जनवरी को बात हुई थी। दरअसल वह उनको नववर्ष की शुबकामनाएं देना चाहते थे। 20 जनवरी को यह खबर मिली थी कि लता मंगेशकर की तबीयत खराब हो गई है लेकिन उसके बाद उनका हाल ठीक हो गया था। ऐसे में अचानक से बीते दिन खबर आई की लता मंगेशकर इस दुनिया को छोड़ कर चली गई है।